Saturday , May 10 2025
Home / आलेख (page 33)

आलेख

संत कबीर के प्रति भाजपा के ‘राजनीतिक-ममत्व’ के मायने – उमेश त्रिवेदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राम की अयोध्या से तुलसी की राम-धुन के साथ बनारस में कबीर की निर्गुण भजनों की जुगलबंदी को सुनिश्‍चित करके उप्र में भाजपा ने लोकसभा चुनाव का आगाज कर दिया है। उप्र में भाजपा के चुनाव-प्रबंधों को अमलीजामा पहनाने के लिए मोदी ने मगहर में कई …

Read More »

नायडूजी, इमरजेंसी के पाठ में इंदिरा की खूबियों को कैसे पढ़ेंगे? – उमेश त्रिवेदी

26 जून,1975 को लागू आपातकाल की अनगिन कही-अनकही, सही-गलत और कपोल-कल्पित कहानियों के राजनीतिक-संस्करणों के ताजा प्रकाशन और प्रसारण में ’हिटलर’ और ’औरंगजेब’ जैसे पात्रों की एन्ट्री मौजूदा राजनीतिक नेतृत्व की मनोदशा और मानसिक दीवालियापन के इंडेक्स को रेखांकित करती है। अपने चार साल के शासनकाल और उपलब्धियों पर आत्ममुग्ध …

Read More »

अपनों के रचे चक्रव्यूह को कैसे भेद पाएंगे ‘अजय’ – अरुण पटेल

मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ‘राहुल भैया’ जब-जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाते हैं तब-तब यह देखने में आया है कि उनकी टांग खींचने में उनकी अपनी पार्टी के लोग या उनके परिवार के सदस्य ही उनके इर्द-गिर्द एक चक्रव्यूह बनाकर सामने …

Read More »

लोकतंत्र को सेनानी नहीं, समन्वयक चाहिए- पंकज शर्मा

इन दिनों तीन सवाल हर जगह पूछे जा रहे हैं। एक, क्या अगले लोकसभा चुनाव के बाद नरेंद्र मोदी फिर प्रधानमंत्री बन पाएंगे? दो, क्या समूचा विपक्ष एकजुट हो पाएगा? तीन, क्या विपक्षी गठबंधन राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने को तैयार होगा? इन सवालों के जवाब तलाशना आसान भी है …

Read More »

क्या मतलब ऐसी सरकार का, जो कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है? – उमेश त्रिवेदी

जनता को यह सवाल शिद्दत से पूछना चाहिए कि ‘आखिर मतलब क्या है ऐसी ’सरकार’ का, जिसकी कोई सुनवाई नहीं होती है और मतलब क्या ऐसी ’सरकार’ का, जो कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है’? प्रश्‍न का  पूर्वार्ध दिल्ली की ’केजरीवाल-सरकार’ की ओर मुखातिब है, जबकि उत्तरार्ध केन्द्र की …

Read More »

‘किलिंग इंस्टिंक्ट’ पैदा करना कमलनाथ के लिए बड़ी चुनौती – अरुण पटेल

कांग्रेस आलाकमान ने इस उम्मीद के भरोसे पूर्व केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ को बतौर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष यह जिम्मेदारी सौंपी है कि डेढ़ दशक से चला आ रहा कांग्रेस का सत्ता से वनवास मध्यप्रदेश में समाप्त हो। इसके लिए पार्टी ने उनके साथ ही एक युवा चेहरा ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी …

Read More »

सिक्स पैक्स बनाम चौबीस पसली : गरीब बनाता इलाज-खर्च – उमेश त्रिवेदी

इन दिनों, जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित कार्पोरेट जगत की जानी मानी हस्तियां सोशल मीडिया पर एक-दूसरे को चुनौती देते हुए ’हम फिट तो इंडिया फिट’ अभियान के तहत पूरे भारत को स्वस्थ अथवा फिट बनाने में जुटी हैं, हिंदी के महाकवि पंडित सूर्यकांत निराला की पचास-साठ साल पुरानी दो …

Read More »

मोदी के ‘फिटनेस-मार्केट’ में गरीब-राजनीति का खलल – उमेश त्रिवेदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की नई जवानी को चुस्त-दुरुस्त और फिट रखने की नीयत से सुबह की अपनी कसरत का 1 मिनट 48 सेकण्ड का वीडियो ट्वीटर पर शेयर किया है। इस वीडियो को शेयर करने के बाद उन्होंने ’हम फिट तो इंडिया फिट’ अभियान के तहत थुल-थुल बदन …

Read More »

सत्ता की थाप पर थिरकती ‘डर्टी-पोलिटिक्स’ से पस्त लोकतंत्र – उमेश त्रिवेदी

पता नहीं, आम लोग खुद से और सत्ता के सूत्रधारों से यह सवाल क्यों नही पूछते कि एक भूतपूर्व मुख्यमंत्री क्या इतना कंगाल हो सकता है कि उसे अपना बंगला खाली करते वक्त उसके नलों की टोटियां और टाइल्स भी उखाड़ कर ले जाना पड़े अथवा क्या इस सामान का …

Read More »

घर के चिराग’ ही कहीं जला न डालें कांग्रेस का आशियाना – उमेश त्रिवेदी

जवाहरलाल नेहरू के राजनीतिक अवमूल्यन के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल के समकक्ष खड़े करना जहां संघ-जनित-भाजपा के एजेण्डे का पहला पाठ है, वहीं संघ के मंच पर प्रणव मुखर्जी को खड़ा करके गरजती तोपों की तरह उनका मुंह कांग्रेस की ओर मोड़ देना दूसरा पाठ है। राजनीति में सक्रिय, निष्क्रिय …

Read More »