पहले सर्वश्री मायाराम सुरजन फिर रामाश्रय उपाध्याय, मधुकर खेर, सत्येंद्र गुमाश्ता, रम्मू श्रीवास्तव, राजनारायण मिश्र, कमल ठाकुर और अब श्री बबन प्रसाद मिश्र। छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता के ये शीर्ष पुरुष एक – एक करके दुनिया से विदा हो गए और अपने पीछे ऐसा शून्य छोड़ गए जिसकी भरपाई मुश्किल नजर …
Read More »भूखे भारत में अनाज की बर्बादी – डा.संजय शुक्ला
ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में कुल भूख से पीडि़त संख्या का एक चौथाई भाग भारत में रहता है।पाकिस्तान, बंग्लादेश और श्रीलंका जैसे हमारे पड़ोसी देश लगातार आंतरिक अशांति व अस्थिरता से जूझने के बावजूद हमसे बेहतर स्थिति में है। भूख का सीधा संबंध कुपोषण से है जिसके …
Read More »छत्तीसगढ़ में ऋणग्रस्तता का कहर – दिवाकर मुक्तिबोध
लालसाय पुहूप।आदिवासी किसान।उम्र करीब 33 वर्ष।पिता-शिवप्रसाद पुहूप।स्थायी निवास – प्रेमनगर विकासखंड स्थित ग्राम कोतल (सरगुजा संभाग, छत्तीसगढ़)। ऋण – 1 लाख। ऋणदाता बैंक – सेंट्रल बैंक प्रेमनगर शाखा। बैंक का ऋण वसूली नोटिस – लोक अदालत में 10 हजार रुपये जमा। आत्महत्या दिनांक – 26 दिसंबर 2015। वजह – कर्ज न …
Read More »आरक्षण व्यवस्था के साथ लगातार हो रहा हैं खिलवाड़ – डॉ.पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
भारत में हजारों सालों से संचालित अमानवीय मनुवादी व्यवस्था के कारण सामाजिक एवं शैक्षणिक दृष्टि से वंचित वर्गों की दशा संविधान लागू होने के 66 साल बाद भी अत्यधिक दयनीय है।संविधान निर्माताओं को इन वर्गों की विशेष चिन्ता थी।इसी कारण से इन वंचित वर्गों को अजा, अजजा एवं ओबीसी वर्गों …
Read More »जोगी के बिना कांग्रेस ? कमजोर या मजबूत-दिवाकर मुक्तिबोध
छत्तीसगढ़ कांग्रेस क्या अपने दूसरे विभाजन की ओर बढ़ रही है। दिसंबर 2015 के अंतिम सप्ताह में अंतागढ़ उपचुनाव सीड़ी कांड के जाहिर होने के बाद जोगी परिवार पर पार्टी अनुशासन का कहर टूट पड़ा है। मरवाही से निर्वाचित अमित जोगी को 6 वर्ष के लिए पार्टी से निष्कासित कर …
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