रायपुर 27 फरवरी।छत्तीसगढ़ विधानसभा ने आज 95 हजार 899 करोड़ रूपए के विनियोग विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विनियोग पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि बजट में वर्ष 2019-20 में कुल व्यय 90 हजार 910 करोड़ रूपए का है, जिसमें से राजस्व व्यय 78 हजार 595 करोड़ रूपए और पूंजीगत व्यय 12 हजार 110 करोड़ रूपए का है। उन्होने कहा कि राज्य का वित्तीय घाटा 10 हजार 880 करोड़ रूपए का है, जो निर्धारित सीमा अर्थात जीएसडीपी के तीन प्रतिशत की सीमा से कम है। 31 मार्च 18 की स्थिति में राज्य शासन पर लोक ऋण भार 39 हजार 30 करोड़ रूपए का है।
उन्होने कहा कि हमारे लिए विकास की परिभाषा गांव, किसानों और मजदूरों के जीवन में सुधार लाना है, बिल्डिंग, पुल-पुलिया और कांक्रीट के जंगल खड़े करने के नाम पर आदिवासियों को उनकी जमीन से उजाड़ना नहीं है। हमारी सरकार ने किसानों और गांवों के कल्याण के लिए ऋण लिया है। राज्य में किसानों के अल्पकालिक कृषि ऋण को माफ किया गया और ढाई हजार रूपये प्रति क्विंटल की दर पर धान खरीदी की गई। इन फैसलों से गांव और किसान को लाभ मिला है।
उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने शिक्षाकर्मियों के संविलियन का जो कार्य किया उसका भुगतान भी हमारी सरकार द्वारा किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने रायपुर-बिलासपुर मार्ग को बनने में लगे वर्षों की अवधि के साथ-साथ स्काई वॉक योजना की प्रक्रिया में ली गई लम्बी अवधि की भी आलोचना की।
मुख्यमंत्री ने वन अधिकार पट्टों के संबंध में सदन को आश्वस्त करते हुए कहा कि वनवासियों और जंगलों में परपंरागत रूप से रहने वाले लोगों के अधिकारों का हनन नहीं होने दिया जाएगा, उनका जो वाजिब अधिकार है उसे दिलाकर रहेंगे।उन्होंने बताया कि पिछले सरकार के दौरान वन अधिकार पट्टों के लिए आठ लाख 55 हजार व्यक्तिगत दावे किए गए थे, जिनमें से चार लाख 51 हजार पट्टों के दावे को अमान्य कर दिया गया था।उनकी सरकार अमान्य किए गए चार लाख 51 हजार पट्टें दावों का फिर से परीक्षण कराएगी, जिससे जंगल में रहने वाले आदिवासी भाई-बहनों और परम्परागत रूप से वन में रहने वाले लोगों का हक उन्हें मिल सके।
उन्होंने कहा कि वन अधिकार पट्टों के सामुदायिक दावों के रूप में केवल आंगनबाड़ी, स्कूल और मरघट के लिए पट्टे दिए गए। वास्तव में सामुदायिक दावों का और अधिक विस्तार हो सकता है। उनका भी परीक्षण कर सामुदायिक वन पट्टे दिलाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार द्वारा वन पट्टों का वितरण का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। सीतापुर, मैनपाट में हजारों लोगों को वन अधिकार पट्टे प्रदाए किए गए हैं। हाल ही में सांसद श्री राहुल गांधी ने लोहाण्डीगुड़ा क्षेत्र में वन अधिकार पट्टे वितरित किए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चिटफंड कंपनियों में एजेंट के रूप में काम कर रहे छत्तीसगढ़ के युवाओं और नागरिकों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज की गई, उन्हें जेल में डाल दिया गया। राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ के ऐसे युवाओं के विरूद्ध प्रकरणों को वापस लेने का निर्णय लिया है। जिन लोगों ने चिटफंड कंपनियों में पैसे लगाए थे, उनके पैसे वापस दिलाने के लिए राज्य सरकार सजग और तत्पर है। वर्तमान में पी.ए.सी.एल. लिमिटेड के निवेशकों की धन वापसी हेेतु एक मार्च से ऑनलाईन आवेदन लेने की प्रक्रिया राज्य में प्रारंभ की जा रही है। इसी तरह दूसरी चिटफंट कंपनियों के संबंध में भी कार्रवाई की जाएगी।
श्री बघेल ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार की आउटसोर्सिंग नीति ने आरक्षण की व्यवस्था को खत्म किया गया। इससे बस्तर के आदिवासियों का हित मारा गया। आउटसोर्सिंग में लगे लोगों को शासन द्वारा 18 हजार रूपए की राशि दी जाती थी, लेकिन उन्हें केवल 14 हजार या 10 हजार रूपए की राशि मिलती थी। उनकी सरकार का दर्शन है कि शासकीय खजाने से निकला पूरा पैसा हितग्राही को मिलना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी की अवधारणा ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को मजबूती देने के लिए है। यह योजना ग्रामीण विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगी। विभिन्न विभागों जैसे कृषि, पशुपालन, वन तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग आदि में इसके कार्यों के क्रियान्वयन के लिए पहले से ही बजट की राशि मौजूद है। विभागों के बीच समन्वय बढ़ाने, कार्यों को सही दिशा देने और ईमानदार प्रयासों की जरूरत है। उन्होंने कहा ग्रामीण परिवेश से कटा व्यक्ति ही ऐसे महत्वपूर्ण कार्यों को मजाक में ले सकता है या उसका उपहास कर सकता है।
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