अब सभी सरकारी इमारतों के भूकंपीय जोखिम का मूल्यांकन होगा। शुरुआत में अस्पताल, स्कूल, काॅलेज, पुलिस स्टेशन, अग्निशमन केंद्र व अन्य महत्वपूर्ण भवनों की जांच होगी।
राजधानी की सभी सरकारी इमारतों को भूकंप से बचाने और जानमाल के खतरे को कम करने के लिए लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने योजना बनाई है। अब सभी सरकारी इमारतों के भूकंपीय जोखिम का मूल्यांकन होगा। शुरुआत में अस्पताल, स्कूल, काॅलेज, पुलिस स्टेशन, अग्निशमन केंद्र व अन्य महत्वपूर्ण भवनों की जांच होगी। इस दौरान देखा जाएगा कि इन भवनों का निर्माण कैसे किया गया है और भूंकपरोधी क्या उपाए किए गए हैं। साथ ही, आपात स्थिति के लिए वैकल्पिक मार्ग हैं या नहीं।
बुधवार को इस संबंध में पीडब्ल्यूडी की तरफ से आदेश भी जारी कर दिया गया है। इसमें बताया गया है कि हाल ही में म्यांमार में आए 7.7 तीव्रता के भूकंप के मद्देनजर भवन संहिता का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया गया है। आदेश में भवनों की संरचनात्मक मजबूती और सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके तहत रखरखाव वाले सभी भवनों की स्थिति की तत्काल जांच की जाएगी। राष्ट्रीय भवन संहिता और स्थानीय उपनियमों का सख्ती से पालन होगा। नियमित निरीक्षण और उल्लंघन पर कार्रवाई को अनिवार्य बनाया गया है।
30 अप्रैल को जारी होगी खामियों की रिपोर्ट
अस्पताल, स्कूल, पुलिस स्टेशन, अग्निशमन केंद्रों समेत महत्वपूर्ण इमारतों की जांच के बाद जिस भी इमारत में कोई कमी पाई जाएगी तो उसे ठीक किया जाएगा। पीडब्ल्यूडी का कहना है कि भवनों को मजबूत करने के लिए रेट्रोफिटिंग या उन्नयन की योजना बनाई जाएगी। वर्तमान में सभी इमारतों की जांच होगी। इसके बाद रिपोर्ट के आधार पर तीन माह के भीतर इमारत को भूकंपरोधी बनाने के लिए योजना बनेगी। साथ ही, पीडब्ल्यूडी 30 अप्रैल तक एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा जिसमें जांच में मिली खामियों का ब्योरा होगा।
योजना जमीन पर उतरी तो होगा फायदा
विशेषज्ञों का कहना है कि योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए समयबद्ध निगरानी, संसाधनों का उचित आवंटन और जागरूकता अभियान जरूरी होंगे। सबकी नजर इस बात पर रहेगी कि यह योजना कितनी तेजी और प्रभावी ढंग से जमीन पर उतरती है। योजना के लागू होने से भूकंप जैसी आपदाओं में भवनों के ढहने से होने वाली जनहानि और संपत्ति के नुकसान को कम किया जा सकेगा। मजबूत भवन संरचनाएं लोगों के लिए सुरक्षित आश्रय सुनिश्चित करेंगी। अस्पतालों और पुलिस स्टेशनों जैसे आवश्यक ढांचों के रेट्रोफिटिंग से आपदा के दौरान भी ये सेवाएं चालू रह सकेंगी, ताकि राहत कार्यों में तेजी आएगी।
इमारतों का हो रहा फायर ऑडिट
बीते दिनों दिल्ली सरकार ने सभी सरकारी इमारतों के फायर ऑडिट कराने का आदेश था। इसके तहत इमारतों को ऑडिट किया जा रहा है। दिल्ली में गर्मी के मौसम में आग लगने की घटनाएं ज्यादा होती हैैं। इमारतों में आग लगने के 70 फीसदी मामले ऐसे होते हैं जिनमें तारों या उपकरणों में शॉर्ट सर्किट आदि के कारण हादसे होते हैं। ऐसे में दिल्ली सरकार ने बीते दिनों आदेश जारी कर सभी सरकारी इमारतों, अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों का फायर ऑडिट कराने को कहा था। यह कदम दिल्ली अग्निशमन सेवा की ओर से जारी सलाह के बाद उठाया गया है। अधिकारियों का कहना है कि 15 अप्रैल तक ऑडिट कार्य पूरा किया जाएगा।