
नई दिल्ली 26 नवम्बर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि भारत का संविधान राष्ट्रीय पहचान की आधारशिला है और औपनिवेशिक मानसिकता के स्थान पर राष्ट्रवादी दृष्टिकोण स्थापित करने का मार्गदर्शक ढांचा प्रदान करता है।
सुश्री मुर्मु ने संविधान दिवस के अवसर पर आज यहां संविधान सदन के केंद्रीय कक्ष में संविधान की प्रस्तावना का वाचन करने बाद लोगो को सम्बोधित करते हुए कहा कि संविधान जनता की आकांक्षाओं को अभिव्यक्त करने वाला अत्यंत प्रभावी दस्तावेज है। उन्होंने उल्लेख किया कि भारतीय संसद कई देशों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान निर्माताओं का उद्देश्य था कि संविधान देश के नागरिकों की सामूहिक और व्यक्तिगत गरिमा की रक्षा सुनिश्चित करे।
उन्होंने सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुता के मूल्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि यह देखकर प्रसन्नता होती है कि संसद सदस्यों ने संविधान निर्माताओं की परिकल्पना को वास्तविक रूप दिया है।
उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने कहा कि संविधान स्वतंत्रता संग्राम में शामिल लाखों देशवासियों के सामूहिक ज्ञान, त्याग और सपनों का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि महान विद्वानों, प्रारूप समिति और संविधान सभा के सदस्यों ने करोड़ों भारतीयों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए गहन विचार प्रस्तुत किए।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि संविधान के मार्गदर्शन में पिछले सात दशकों में भारत ने सुशासन और सामाजिक-आर्थिक विकास की एक परिवर्तनकारी यात्रा तय की है। उन्होंने कहा कि भारत आज विश्व का सबसे जीवंत और सफल लोकतंत्र माना जाता है।
बिरला ने संविधान सभा के सभी सदस्यों, संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद और संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यदि संविधान का अक्षरशः पालन किया जाए तो भारत वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बन सकता है।
इस अवसर पर राष्ट्रपति मुर्मु ने संविधान के अनुवादित संस्करण को नौ भारतीय भाषाओं—मलयालम, मराठी, नेपाली, पंजाबी, बोडो, कश्मीरी, तेलुगु, उड़िया और असमिया में जारी किया।
CG News | Chhattisgarh News Hindi News Updates from Chattisgarh for India