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कोविड के दौर में सकारात्मक सोच के साथ एक-दूसरे के सहभागी बनें -राज्यपाल

रायपुर 04 अगस्त।छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा हैं कि कोविड के इस दौर में हम सभी सकारात्मक सोच के साथ एक दूसरे के दुख के सहभागी बनें, अपनी क्षमता के अनुसार एक-दूसरे का सहयोग करें।

सुश्री अनुसुईया उइके ने आज पण्डित सुन्दरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय के पंचम दीक्षांत-समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि हमें भविष्य में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में ऐसे संसाधनों की जरूरत पड़ेगी, जो भौतिक दूरियों के बावजूद हमारे ज्ञान में अभिवृद्धि कर सकें। मुक्त विश्वविद्यालय इस क्षेत्र में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। राज्यपाल ने सभी स्वर्ण-पदक एवं उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।राज्यपाल ने स्वतंत्रता सेनानी पंडित सुंदर लाल शर्मा को नमन भी किया।

उन्होने कहा कि प्रदेश के विश्वविद्यालय-महाविद्यालयों में व्याख्याताओं और प्राध्यापकों के पद रिक्त हैं। बस्तर-सरगुजा जैसे दूरस्थ क्षेत्रों में यह समस्या ज्यादा है। इसके कारण शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है। साथ ही शिक्षण संस्थानों को अच्छी ग्रेडिंग नहीं मिल पाती है, जिसके कारण उन्हें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से सहायता राशि मिलने में कठिनाई होती है। उन्होंने इन रिक्तियों की जल्द पूर्ति किये जाने की आवश्यकता जताई।

राज्यपाल ने कहा कि समन्वय समिति की बैठक काफी दिनों से नहीं हुई है, इसे जल्द बुलाई जाए, ताकि प्रदेश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता के लिए नीतिगत निर्णय लिये जा सके। उन्होने कहा कि हम लंबे समय से कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं। सभी शिक्षण संस्थान बंद पड़े हैं। इसका प्रभाव विद्यार्थियों और हम सब पर भी पड़ा है। यह अच्छी बात है कि ऑनलाईन तरीके से शिक्षा दी जा रही है, लेकिन इसकी एक सीमा है। उन्होंने अन्य विकल्पों पर भी विचार करने की आवश्यकता जताई।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ का हमारा सपना प्रदेश के समग्र और बहुआयामी विकास से ही पूरा होगा। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी छत्तीसगढ़ की माटी से जुड़े होने के कारण, राज्य को न सिर्फ अपना भावनात्मक समर्थन प्रदान करें बल्कि आपकी पूरी प्रतिभा, ऊर्जा और सारे प्रयत्न भी छत्तीसगढ़ के जनजीवन को समृद्ध और खुशहाल बनाने में करें।

श्री बघेल ने कहा कि जब हम कहते हैं ‘बात है अभिमान के, छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान के’, तो हम चाहते हैं कि राज्य का संपूर्ण गौरव उभर कर सामने आए। हमारे कृषि, वन, जल, खनिज आदि सारे संसाधनों का उपयोग, युवाओं की भागीदारी और रोजगार सुनिश्चित करने में हो। इस तरह एक पंथ-अनेक काज होने चाहिए, जो उच्च शिक्षा के साथ प्रत्येक व्यक्ति का जीवन संवारे, साथ ही प्रदेश के विकास में सबका योगदान दर्ज करे।