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साय ने अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के अवसर पर किया श्रमिकों का सम्मान

रायपुर 01 मई।अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के अवसर पर श्रमिकों के सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि राष्ट्र निर्माण श्रमिक भाइयों-बहनों की वर्षों की तपस्या, सपनों और संकल्पों का परिणाम है। आप और हम आज की युग में जो भी विकास देख रहे हैं, चाहे वह बहुमंजिला इमारत हो, सड़क, पुल या रेल की पटरी हो, सब श्रमिक भाइयों के पुरुषार्थ का प्रतिफल है।

     श्री साय ने कहा कि उनका सौभाग्य था कि मोदी जी के पहले कार्यकाल में वे दो साल तक श्रम राज्य मंत्री भी थे। तब श्रमिकों की पेंशन पचास- सौ रुपए तक थी। पेंशन की राशि से ज्यादा उसे लेने में खर्च हो जाते थे। तब हमने न्यूनतम  एक हजार रुपए पेंशन कर श्रमिक भाइयों को उनका हक दिलाया। मजदूरों के पीएफ के लिए यूनिवर्सल प्रणाली लागू करने का सौभाग्य मुझे मिला। मुख्यमंत्री पर भूपेश बघेल की टिप्पणी के सवाल के जवाब में श्री साय बोले कि श्रमिकों के मामले में उनकी समझ पूर्व मुख्यमंत्री से बेहतर है।

   उन्होंने कहा कि श्रमिकों के पीएफ नंबर को यूनिवर्सल करने का काम मोदी सरकार ने किया। यह बेहद आश्चर्यजनक था कि इसमें पेचीदगी की वजह से “अनक्लेम” राशि सतहत्तर हजार करोड़ रुपए हो गई थी। श्रमिक अंतर्राज्यीय प्रवासी होने की वजह से यह राशि क्लेम नहीं कर पाते थे। बतौर केंद्रीय राज्य मंत्री जब हमने प्रधानमंत्री जी को यह जानकारी दी, तब माननीय मोदी जी ने कहा कि श्रमिक जहां जाएं उसके पीछे पीएफ की राशि जाए ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए। यह मेरे लिए खुशी का विषय है कि श्रमिकों के पीएफ को यूनिवर्सल कराने का सौभाग्य भी मुझे मिला।

   श्री साय ने कहा कि मेरे कार्यकाल के दौरान छत्तीसगढ़ में चार ईएसआईसी अस्पताल खुले। पहले केवल पंजीकृत मजदूरों का इलाज होता था अब बड़ी से बड़ी बीमारी का पूरी तरह से निःशुल्क इलाज हर तरह के श्रमिकों का हो रहा है। श्रमिकों का बीमा किया गया है। साथ ही प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत श्रमिकों के लिए तेरह हजार करोड़ रूपये का बजट स्वीकृत किया गया है।     

   श्री साय ने इस मौके पर श्रमिकों के साथ परंपरागत भोजन भी किया। इस दौरान वे श्रमिकों से बतियाते दिखे। सरल-सौम्य मुख्यमंत्री को अपने बीच अपना सा व्यवहार देख श्रमिक बंधु ने कहा – “ऐहर त हमरेच्च असन हवय गा।”