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आलेख

मोदी-राहुल के ‘हाय-हैलो’ में सिमटा लोकतंत्र का राष्ट्रीय विमर्श ! – उमेश त्रिवेदी

भारत के संसदीय लोकतंत्र के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का यह कथन काले तमगे के समान है कि पिछले चार वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके बीच महज दो-चार शब्दों मे सिमटे औपचारिक संवादों के अलावा कभी कोई बातचीत या परामर्श नहीं हुआ। लोकतंत्र की बुनियाद …

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क्या लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव हिंसा की ओर मोड़े जा रहे हैं ? – उमेश त्रिवेदी

अनुसूचित जाति-जनजाति अधिनियम में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर दलित समुदाय के हिंसक इजहार ने भारत को कांग्रेस मुक्त भारत का नारा देने वाली भारतीय जनता पार्टी के माथे पर चिंता की लकीरों को गहरा कर दिया है। भारत में दलित समुदाय के बीस प्रतिशत वोटों के अंक-शास्त्र की रणनीतिक …

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जिन्होंने ‘अमित’ की नहीं सुनी वे ‘सौदान’ की क्या सुनेंगे ? – अरुण पटेल

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर तीन दिन तक भोपाल में डेरा जमाये भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री सौदान सिंह की अनुभवी और पारखी नजरों ने इस बात को ताड़ने में तनिक भी गफलत नहीं की कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अपने तीन दिवसीय …

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‘चीफ जस्टिस’ के साथ केन्द्र सरकार का ‘एच.ओ.डी’ जैसा व्यवहार ? – उमेश त्रिवेदी

फिलवक्त न्यायपालिका से जुड़ी यह खबर सनसनी के रस्सों पर सबसे ज्यादा गुलाटियां खा रही है कि कांग्रेस सहित अनेक विपक्षी दल सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ लोकसभा में महाभियोग का प्रस्ताव लाने की तैयारियां कर रहे हैं। दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग की कहानी अभी …

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मीडिया पर पूंजी के ‘एकाधिकार’ और सरकार के ‘सर्वाधिकार’ का फंदा – उमेश त्रिवेदी

मध्य प्रदेश और बिहार में तीन पत्रकारों की सरेआम हत्या और मीडिया घरानों के खिलाफ कोबरा-पोस्ट के सनसनीखेज स्टिंग-ऑपरेशन की इबारत सीधे-सीधे मीडिया के बेबस बदनुना हालात को बंया करती है। घटनाएं कह रही हैं कि अभिव्यक्ति के मासूम परिन्दों को झपटने के लिए आकाश में गिध्दों की फौज ने …

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छत्तीसगढ़ में सरकारी अस्पतालों के निजीकरण पर बवाल – डा.संजय शुक्ला

छत्तीसगढ़ के 09 सरकारी अस्पतालों को निजी हाथों में सौंपने के फैसले पर इन दिनों भारी बवाल मचा हुआ है। विपक्षी राजनीतिक दलों के नुमांइदों ने इस फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि इससे आम आदमी के इलाज का खर्च महंगा और पहुंच से बाहर हो …

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चिदम्बरम की ‘कॉफी-कथा’ में उभरी ‘सिस्टम’ की हकीकत – उमेश त्रिवेदी

अपने बजट भाषणों में गरीबी और मुफलिसी पर स्यापा करने वाले पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम ने असल जिंदगी में कभी भी गरीबी का स्वाद नही चखा होगा, लेकिन यह महज संयोग है कि 25 मार्च 2018 के दिन चेन्नई एयरपोर्ट के लाउन्ज में उनकी जुंबा महंगाई की तेज लाल मिर्च …

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दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के बाद चुनाव आयोग कठघरे में- उमेश त्रिवेदी

दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा लाभ के पद के आरोप में बर्खास्त आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की बहाली के बाद लोकतंत्र के पैरोकारों को देश की संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता पर घुमड़ रहे काले बादलों से जुड़े सवालों पर गंभीर विमर्श करना होगा। इसके लिए किसी पुरावे की जरूरत …

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सोशल मीडिया: राजनीति का ‘रेड-लाइट’ एरिया, जहां हर चीज बिकती है – उमेश त्रिवेदी

फेसबुक से डाटा चोरी के खुलासे के बाद अब भारत में यह बहस शुरू हो गई है कि देश के किस नेता और कौन से राजनीतिक-दल ने अपने चुनावी हित साधने के लिए सोशल मीडिया का दुरूपयोग किया है? खुलासे के बाद उन लोगों में घबराहट का माहौल है, जो …

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राजनीतिक हलकों में राहुल गांधी की टंकार गूंजने लगी है… – उमेश त्रिवेदी

अखिल भारतीय कांग्रेस के 84 वें राष्ट्रीय महाधिवेशन के बाद देश की सियासी तासीर में तेजाब घुलने लगा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समर्थक भले इसे नकारें, लेकिन अब आम लोग शिद्दत से कांग्रेस के नए अध्यक्ष राहुल गांधी की उपस्थिति महसूस करने लगे हैं। तीन महीने बाद 19 जून …

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