आज देश का सबसे बड़ा संकट यह नहीं कि भ्रष्टाचार फैल रहा है, बल्कि यह है कि हम उसे “सामान्य” मान चुके हैं। जिस व्यवस्था को ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा पर टिका होना चाहिए था, वह अब सिफ़ारिश, धनबल और सुविधा की जुगाड़ पर निर्भर हो गई है। दफ्तरों में छोटे …
Read More »1962 नहीं, नया भारत: अरुणाचल से उठती हौसले और विकास की नई आवाज -अशोक कुमार साहू
शंघाई अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर चीन के अधिकारियों ने पिछले सप्ताह भारतीय नागरिक प्रेमा वांगजोम थोंगडोक के साथ अरूणाचल प्रदेश की निवासी होने को लेकर उनके पासपोर्ट पर सवाल उठाकर भले ही एक बार फिर अपनी ओछी हरकत से दुनिया का ध्यान आकृष्ट किया हो,पर उसकी इस तरह की …
Read More »छत्तीसगढ़ःआदिवासी वीर नायकों को समर्पित है देश का पहला डिजिटल संग्रहालय
आदिवासी नायक भगवान बिरसा मुंडा जहां देशभर के आदिवासियों के प्रेरणापूंज है। ठीक उसी प्रकार छत्तीसगढ़ में भी फिरंगियों के विरूद्ध बिगुल फूंकने का काम सोनाखान केे जमींदार वीर नारायण सिंह ने किया। उन्होंने फिरंगियों की दमन और शोषणकारी नीतियों के विरूद्ध विद्रोह का बिगुल फूंका और उनसे लड़ते हुए …
Read More »‘दिल्ली’ में ‘भारत’ को जीने वाला बौद्धिक योद्धा ! – प्रोफेसर संजय द्विवेदी
(रामबहादुर राय होने का अर्थ समझाती एक किताब) कभी जनांदोलनों से जुड़े रहे, पदम भूषण और पद्मश्री सम्मानों से अलंकृत श्री रामबहादुर राय का समूचा जीवन रचना, सृजन और संघर्ष की यात्रा है। उनकी लंबी जीवन यात्रा में सबसे ज्यादा समय उन्होंने पत्रकार के रूप में गुजारा है। इसलिए …
Read More »गांधी के विरुद्ध हो रहे सुनियोजित दुष्प्रचार का उत्तर देना होगा देश को -रघु ठाकुर
(गाँधी जयंती 02 अक्टूबर पर विशेष) 02 अक्टूबर गाँधी का जन्मदिवस है और सदा की तरह उनके जन्म दिवस के अवसर पर सरकारें उन्हें श्रद्धांजलि देने और कुछ गुणगान करने की औपचारिकतायें पूरी करेगी। देश में आज भी गाँधी आमजन के लिये सबसे बड़े ब्रांड हैं, इसलिये प्रचारतंत्र में भी …
Read More »एमएसपी गारंटी कानून से खजाना बढ़ेगा, बोझ नहीं –डा. राजाराम त्रिपाठी
इन दिनों ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ जिसे सामान्य बोलचाल में आजकल ‘एमएसपी’ कहा जाता है, को कथित अर्थशास्त्रियों, सरकारी विशेषज्ञों तथा मीडिया के एक विशेष धड़े ने अंधों का हाथी बना डाला है। हाल ही में अशोक गुलाटी जैसे “कथित” अर्थशास्त्री ने देश को दो टूक ज्ञान दिया है कि …
Read More »आयुर्वेद दिवस: बीमारियों के बाजार में, संजीवनी शास्त्र की फिर वापसी –डॉ.राजाराम त्रिपाठी
23 सितम्बर को जब देशभर में आयुर्वेद दिवस के नाम पर संगोष्ठियाँ और समारोह हो रहे थे, तब दूसरी ओर अंग्रेज़ी अस्पतालों की ओपीडी में लंबी कतारें लगी थीं, दवा दुकानों में धक्का-मुक्की मची थी और चिकित्सा-विज्ञान का यह अजब तमाशा था कि मामूली खाँसी-बुखार तक के लिए पर्ची …
Read More »नए समय की चुनौतियों के बीच मीडिया शिक्षा – प्रो.संजय द्विवेदी
मीडिया शिक्षा में सिद्धांत और व्यवहार का बहुत गहरा द्वंद है। ज्ञान-विज्ञान के एक अनुशासन के रूप में इसे अभी भी स्थापित होना शेष है। कुछ लोग ट्रेनिंग पर आमादा हैं तो कुछ किताबी ज्ञान को ही पिला देना चाहते हैं। जबकि दोनों का समन्वय जरूरी है। सिद्धांत भी …
Read More »रक्तदान शिविरःउम्मीदों के दिये -राज खन्ना
शिविर आयोजन के दिन मेडिकल की छात्रा अरुणिमा सिंह की सुल्तानपुर में उपस्थिति संभव नहीं होगी, इसलिए तीन दिन पहले ही वे रक्तदान कर गईं। … और होमगार्ड की डिप्टी कमांडेंट, वालीबाल की मशहूर राष्ट्रीय खिलाड़ी जहांआरा जी तो अब तक 103 बार रक्तदान कर चुकी हैं। पूर्वांचल के एक …
Read More »नरेन्द्र मोदीःध्रुवतारे की तरह चमकता पृथ्वी का सितारा- डा.एम.पी.सिंह
(प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर विशेष) गुजरात के वडनगर का छोटा सा शहर अभी भी सुबह की धुंध में सो रहा था, तभी एक हल्की सी रोशनी संकरी गलियों को रोशन कर रही थी। एक साधारण से घर के अंदर, हीराबेन मोदी ने चुपचाप माचिस जलाई और तेल का दीया …
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