यूपी के बिजली उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिली है। दरअसल प्रदेश में दिन में अलग और रात में अलग बिजली टैरिफ का मसौदा तैयार किया जा रहा था।
प्रदेश में एक अप्रैल से नया बहुवर्षीय टैरिफ वितरण विनियमन (मल्टी ईयर टैरिफ डिस्ट्रीब्यूशन रेगुलेशन) 2025 लागू हो जाएगा। इसमें दिन व रात की अलग- अलग टैरिफ, निजीकरण संबंधी प्रस्ताव हटा दिया गया है। विद्युत निगमों द्वारा वहीं बिजली खरीद की जा सकेगी, जो पहले से नियामक आयोग द्वारा अनुमोदित की जाएगी। अब मनमानी तरीके से बिजली खरीद भी नहीं हो सकेगी। निगमों को रखरखाव संबंधी खर्च का भी आयोग से अनुमोदन लेना होगा। इससे भविष्य में बिजली व्यवस्था में सुधार होगा। नए प्रावधान में कई ऐसे प्रस्ताव भी हैं, जिसकी वजह से भविष्य में बिजली दर बढोत्तरी के रास्ते भी खुलते नजर आ रहे हैं।
विद्युत नियामक आयोग की ओर से प्रदेश में वर्ष 2025 से 2029 तक के लिए बहुवर्षीय टैरिफ वितरण विनियमन के प्रस्ताव को सुनवाई के लिए जारी किया गया था। इसमें दिन व रात की बिजली दर अलग- अलग रखने, टैरिफ में ही निजीकरण से जुड़े बिंदुओं को समाहित करने सहित तमाम प्रस्ताव रखे गए थे। जनसुनवाई के दौरान उपभोक्ताओं की ओर से उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आपत्ति लगाई। आपत्तियों पर सुनवाई के नियामक आयोग ने विनियमन तैयार कर अधिसूचना जारी करने के लिए प्रदेश सरकार को भेज दिया है। यह एक अप्रैल 2025 से जारी होगा और वर्ष 2029 तक प्रभावी होगा।
प्रस्ताव किया गया खारिज
अगले पांच वर्ष तक बिजली दरों का निर्धारण इसी विनियमन से किया जाएगा। इसमें वर्तमान वित्तीय वर्ष की भी बिजली दर शामिल है। नए विनियमन में रात- दिन के अलग बिजली दर के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है। इतना जरूर कहा गया है कि जब इस दिशा में पावर कार्पोरेशन प्रस्ताव देगा, तभी विचार किया जाएगा। मालूम हो कि केंद्र सरकार की ओर से एक अप्रैल 2025 से रात व दिन का टैरिफ अलग- अलग करने का आदेश दिया है। इसका पावर कार्पोरेशन ने भी विरोध किया था।
नियामक आयोग में यूपीएसएलडीसी की सुनवाई में कार्पोरेशन की ओर से कहा गया था कि वर्ष 2027 -28 तक दिन व रात की अलग टैरिफ लागू करना मुश्किल है। स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगने के बाद उसे 2 साल का समय डाटा एकत्र करने के लिए चाहिए। इसके बाद भी अलग- अलग टैरिफ पर विचार किया जा सकता है। इसी तरह प्रस्ताव में यह भी था कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 का प्रयोग कर निजीकरण के बारे में सरकार निर्देश दे सकती है। अब इस प्रस्ताव को भी हटा दिया गया है। नए प्रावधान में यह भी व्यवस्था की गई है कि प्रशासकीय व सामान्य खर्च के लिए स्टैंडर्ड आफ परफॉर्मेंस मुआवजा कानून को लागू करने में आने वाले खर्च का ब्योरा देना होगा।
बिजली दरें बढोत्तरी का रास्ता खुला
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बृहस्पतिवार को नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर उपभोक्ताओं की बात सुनने के लिए आभार जताया। यह भी बताया कि नए विनियिमन में कई ऐसे प्रावधान किए गए हैं, जिससे उपभोक्ताओं की बिजली दरों में बढ़ोतरी के रास्ते खुल सकते हैं। कुछ मामलों में बिजली कंपनियों का बड़ा फायदा होगा, जिसका खामियाजा प्रदेश की जनता को बिजली दरों में बढ़ोतरी के रूप में भुगतना पड़ सकता है, लेकिन उपभोक्ता परिषद संघर्ष करता रहेगा। क्योंकि अभी तक निगमों पर उपभोक्ताओं का बकाया चल रहे 35122 करोड़ रुपये बकाया चल रहा है। परिषद अध्यक्ष ने बताया कि नए प्रावधान का परीक्षण करने के बाद विद्युत निगमों द्वारा वास्तविक खर्च का आकलन किया जाएगा।