वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट-24 दो मायनों में अभूतपूर्व रहा। पहली तो यह कि देश के इतिहास में पहली बार किसी वित्त मंत्री ने 7 वीं बार बजट पेश किया है, हालांकि इस रिकॉर्ड के बनने से देश का क्या भला होने वाला है तथा इकोनॉमी पर क्या प्रभाव …
Read More »ईरान के चुनाव: उम्मीद की नई किरण – रघु ठाकुर
ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर पश्चिमी दुनिया ने जो प्रतिबंध ईरान पर लगाये थे जिससे ईरान का व्यापार सिकुड़ा है, डॉ. मसूद की नीति के चलते अब यह संभावना है कि इन प्रतिबंधों से ईरान को मुक्ति मिले और ईरान, यूरोप व दुनिया में व्यापार व विकास का एक …
Read More »देश के 85 प्रतिशत खेत हो रहे बांझ, इसका असल जिम्मेदार कौन ? – राजाराम त्रिपाठी
केन्द्र में एक और नई सरकार चुनकर आ गई है। पिछले 5 सालों में विभिन्न कारणों से किसान लगातार आंदोलित रहे हैं। पर आज हम ना तो आंदोलनों की बात करेंगे ना किसी सरकार पर कोई आरोप लगाएंगे। हम यहां भारतीय खेती की वर्तमान दशा-दिशा का एक निष्पक्ष समग्र …
Read More »2024 के संसदीय चुनाव परिणाम में छिपा है जनता का संदेश – रघु ठाकुर
लोकसभा के चुनाव परिणाम आ चुके हैं और नई सरकार का गठन भी हो चुका है। इस संसदीय चुनाव में यद्यपि भाजपा और श्री मोदी ने अबकी बार 400 पार के नारे से अभियान शुरू किया था। परन्तु मतदाताओं ने उनका नारा बदल दिया और कहा कि अबकी बार मुश्किल …
Read More »योग से जुड़ता पूरा विश्व – धनंजय राठौर
योग का अर्थ होता है, जुड़ना। योग के माध्यम से आज पूरा विश्व एक परिवार के रूप में जुड़ गया है। भारत में योग प्राचीन काल से ही किया जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य मानव शरीर और मानसिक स्वास्थ्य को स्वस्थ रखना हैं। योग न केवल शरीर को रोगमुक्त …
Read More »भारत ने फिर साबित किया, कि वह ‘लोकतंत्र की जननी’ – डॉ राजाराम त्रिपाठी एवं एम.राजेन्द्रन
18वीं लोकसभा के चुनावी नतीजे आ गए हैं और दीवार पर लिखी ये इबारत अब साफ पढ़ने में आ रही है कि गठबंधन सरकार बनने जा रही है। हालिया चुनावी नतीजों के बारे में राजनीतिक विश्लेषक चाहे जो भी दावा करते रहे पर इस चुनाव का मुख्य निष्कर्ष तो …
Read More »पटका सदस्यता राजनीति का पतन – रघु ठाकुर
भारतीय राजनीति के राजनैतिक संस्कृति में निरंतर गिरावट हो रही है। आजादी के समय में कांग्रेस पार्टी जो देश की प्रमुख पार्टी थी, की सदस्यता के बारे में जो नियम थे वह काफी कड़े थे और जो लोग सदस्य बनते थे उनमें से सभी तो नहीं पर अधिकांश लोग अपनी …
Read More »पर्यावरण दिवस पर वृक्षारोपण या पौधों की हत्या ? – राजाराम त्रिपाठी
देश में सात दशकों की वृक्षारोपण नौटंकी के बावजूद “प्रति व्यक्ति मात्र 28 पेड़” बचे हैं, जबकि विश्व में सबसे गरीब देशों में शुमार ‘इथोपिया’ हरित-संपदा के मामले में प्रति व्यक्ति 143 पेड़ों के साथ हमसे 5 गुना ज्यादा समृद्ध है। आजादी के बाद से अब तक हमने देश …
Read More »कैंडी स्वाद के जानलेवा फंदे में फँसती युवा पीढ़ी – शोभा शुक्ला
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक डॉ टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस का मानना है कि “इतिहास खुद को दोहरा रहा है, क्योंकि तम्बाकू उद्योग हमारे बच्चों को एक ही निकोटीन को अलग-अलग पैकेजिंग में बेचने की कोशिश कर रहा है। ये उद्योग सक्रिय रूप से स्कूलों, बच्चों और युवाओं को नए …
Read More »30 मई ; हिंदी पत्रकारिता दिवस, किस पर भरोसा करें ?- राज खन्ना
30 मई 1826। इस दिन कलकत्ता से हिन्दी का पहला अख़बार ” उदन्त मार्तण्ड ” छपा था। यह साप्ताहिक था। कानपुर के पंडित युगल किशोर शुक्ल संपादक थे। अख़बार को कम उम्र मिली। 11 दिसम्बर 1827 को आखिरी अंक छपा। बन्द हो चुके इस अखबार के 1976 में डेढ़ …
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