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आलेख

क्या पूर्वोत्तर के लिए जारी ‘एडवायजरी’ हिंदी राज्यों पर लागू नहीं होती – उमेश त्रिवेदी

देश के सत्ताधीशों के काम काज और कारगुजारियां इस बात की ताकीद हैं कि वो इन अंदेशों को लेकर कतई चिंतित नहीं है कि नागरिकता कानून के विरोध में गहराता जन आक्रोश भारत की सामाजिक समरसता के ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर सकता है। उनकी कथनी और करनी में छलकने वाले …

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नागरिकता-कानून सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का नया औजार है – उमेश त्रिवेदी

पिछले एक पखवाड़े से लोगों के जहन में यह सवाल खदबदा रहा है कि मोदी नागरिकता संशोधन कानून को लेकर सिर्फ मुसलमान ही नहीं, बल्कि पूर्वोत्तर राज्यों के हिन्दू आबादी भी इस कदर दहशदजदा क्यों हैं ? दहशत के दायरे शायद इसलिए बढ़ते जा रहे हैं कि झारखंड की चुनावी …

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उकता चुके देश का थका-हारा मुखिया – पंकज शर्मा

छह साल पहले नरेंद्र भाई मोदी ने भारतमाता की आंखों में एक ख़्वाब उंड़ेला था–अच्छे दिन आने वाले हैं। इस ख़्वाब की डोर अपनी उंगलियों की पोर से थामे देश ने नरेंद्र भाई को रायसीना-पहाड़ियों का महादेव बना दिया। मैं भी तब से, नरेंद्र भाई के जन्म के महज़ सात …

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संविधान दिवस पर संविधान की जीत – रघु ठाकुर

महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बनाने के लिए चले घटनाक्रम के कई निहितार्थ है। जहाँ एक तरफ इस घटनाक्रम ने भाजपा का सत्ता लोलुप चेहरा सबके सामने ला दिया है, वहीं मोदी-शाह जोड़ी के मद की भी शुरूआत कर दी। वैसे भी महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनाव …

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इस ‘राजनीतिक-डर’ में इंदिराजी के आपातकाल की आहट है?- उमेश त्रिवेदी

यदि देश में राजनीतिक समझदारी (?) और राष्ट्रवादी सोच (?) का यह सिलसिला यूं ही चलता रहा तो देश में राष्ट्रहित से खिलवाड़ करने वाले नागरिकों की संख्या में दिन दूना रात चौगुना इजाफा होने से कोई भी नहीं रोक पाएगा। मोदी-सरकार के कार्यकाल में राष्ट्रद्रोह के संवैधानिक और कानून …

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भारतीय संविधान और डा.राम मनोहर लोहिया -रघु ठाकुर

भारतीय संविधान का निर्माण, आजादी के आंदोलन के दौरान चली एक लंबी प्रक्रिया से हुआ था। 19 वीं सदी के आंरभ से ही यह चर्चा शुरु हुई थी कि, भारत के संविधान को ब्रिटिश कानूनो से नही वरन भारतीय जनता के द्वारा निर्वाचित संविधान सभा के द्वारा निर्मित होना चाहिये। …

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महाराष्ट्र की सियासत: ‘सवाल यह है कि हवा आई किस इशारे पर…?’- उमेश त्रिवेदी

‘चराग किसके बुझे ये सवाल थोड़ी है, सवाल यह है कि हवा आई किस इशारे पर…?’ शायर नादिम नदीम ने यह शेर कब और किन हालात में लिखा होगा, कहना मुश्किल है, लेकिन फिलवक्त इस शेर में देश की मौजूदा सियासत को कुरेदने का पूरा सामान मौजूद है। सबब यह …

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नीतीश की गुमशुदगी के बाद पवार विपक्षी-ध्रुवीकरण की धुरी बनेगें? – उमेश त्रिवेदी

महाराष्ट्र में सत्ता के सिंहासन से फिसलने के बाद भाजपा के पावर-कॉरिडोर में उठने वाली राजनीतिक आहों और कराहों की अनुगूंज जल्दी ठंडी होने वाली नहीं है, क्योंकि इस घटनाक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की आत्म-मुग्धता का वह कवच तड़क गया है, जो उनके अजेय होने …

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पवार ने महाराष्ट्र में भाजपा को ‘गोवा-एपीसोड’ दोहराने नहीं दिया- उमेश त्रिवेदी

महाराष्ट्र में भाजपा, शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच किसी भी तरीके से सरकार में काबिज होने की होड़ में घटित अनैतिक, अमर्यादित और अलोकतांत्रिक राजनीतिक घटनाओं के धारावाहिक के उत्तरार्ध में, जबकि यह तय हो चुका है कि उध्दव ठाकरे महाराष्ट्र के ऩए मुख्यमंत्री होगे, फलक पर ऐसे कई …

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नेहरू के विमर्श में ही निहित है मौजूदा ‘हेट-पोलिटिक्स’ का जवाब – उमेश त्रिवेदी

राजनीतिक बदजुबानी और बदगुमानी के इस दौर में, जबकि आजादी की लड़ाई के नुमाइंदे हमारे पुरखों की ऐतिहासिक विरासत की इबारत में जहर घोलने की कोशिशें परवान पर हैं, जवाहरलाल नेहरू की राष्ट्रीय-पुण्यायी का सस्वर, समवेत पुनर्पाठ अपरिहार्य होता जा रहा है। सारे भारतवासियों को, जो राष्ट्र-निर्माण में जवाहरलाल नेहरू …

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