मध्यप्रदेश-प्रसंग ने भाजपा की जिस नंगई को खुलेआम उज़ागर किया है, उसे अब किसी भी हथेली से ढंकना मुमक़िन नहीं होगा। कमलनाथ की सियासी-कुंडली के अष्टम भाव में बैठे ज्योतिरादित्य सिंधिया की वज़ह से अगर आगे-पीछे यही उनके प्रारब्ध में था तो मुझे तो लगता है कि जो हुआ, अच्छा …
Read More »छत्तीसगढ़ में आयकर छापे का असर कितना — दिवाकर मुक्तिबोध
इन दिनों छत्तीसगढ़ की राजनीतिक फ़िज़ा गरमाई हुई है। मसला है दिल्ली से बेहद गुपचुप तरीक़े से राजधानी रायपुर पहुँचे आयकर विभाग के दस्ते द्वारा राज्य के दो दर्जन से अधिक रसूखदार लोगों के यहाँ छापे की कार्रवाई। राजनीतिक बवाल बशर्ते नहीं मचता यदि छापे राज्य शासन के कुछ उच्चाधिकारियों …
Read More »छत्तीसगढ़ के बघेल सरकार की एक और परीक्षा -दिवाकर मुक्तिबोध
छ्त्तीसगढ़ में हाल ही मे सम्पन्न हुए नगर निकायों के चुनावों में कांग्रेस भले ही अपनी पीठ स्वयं थपथपा लें लेकिन हक़ीक़त यह है कि उसने विधान सभा चुनाव जैसा कोई कमाल नहीं किया। बीते वर्ष इन्हीं दिनों, दिसंबर में भूपेश बघेल के नेतृत्व में पार्टी ने अभूतपूर्व सफलता अर्जित …
Read More »क्या पूर्वोत्तर के लिए जारी ‘एडवायजरी’ हिंदी राज्यों पर लागू नहीं होती – उमेश त्रिवेदी
देश के सत्ताधीशों के काम काज और कारगुजारियां इस बात की ताकीद हैं कि वो इन अंदेशों को लेकर कतई चिंतित नहीं है कि नागरिकता कानून के विरोध में गहराता जन आक्रोश भारत की सामाजिक समरसता के ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर सकता है। उनकी कथनी और करनी में छलकने वाले …
Read More »नागरिकता-कानून सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का नया औजार है – उमेश त्रिवेदी
पिछले एक पखवाड़े से लोगों के जहन में यह सवाल खदबदा रहा है कि मोदी नागरिकता संशोधन कानून को लेकर सिर्फ मुसलमान ही नहीं, बल्कि पूर्वोत्तर राज्यों के हिन्दू आबादी भी इस कदर दहशदजदा क्यों हैं ? दहशत के दायरे शायद इसलिए बढ़ते जा रहे हैं कि झारखंड की चुनावी …
Read More »उकता चुके देश का थका-हारा मुखिया – पंकज शर्मा
छह साल पहले नरेंद्र भाई मोदी ने भारतमाता की आंखों में एक ख़्वाब उंड़ेला था–अच्छे दिन आने वाले हैं। इस ख़्वाब की डोर अपनी उंगलियों की पोर से थामे देश ने नरेंद्र भाई को रायसीना-पहाड़ियों का महादेव बना दिया। मैं भी तब से, नरेंद्र भाई के जन्म के महज़ सात …
Read More »संविधान दिवस पर संविधान की जीत – रघु ठाकुर
महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बनाने के लिए चले घटनाक्रम के कई निहितार्थ है। जहाँ एक तरफ इस घटनाक्रम ने भाजपा का सत्ता लोलुप चेहरा सबके सामने ला दिया है, वहीं मोदी-शाह जोड़ी के मद की भी शुरूआत कर दी। वैसे भी महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनाव …
Read More »इस ‘राजनीतिक-डर’ में इंदिराजी के आपातकाल की आहट है?- उमेश त्रिवेदी
यदि देश में राजनीतिक समझदारी (?) और राष्ट्रवादी सोच (?) का यह सिलसिला यूं ही चलता रहा तो देश में राष्ट्रहित से खिलवाड़ करने वाले नागरिकों की संख्या में दिन दूना रात चौगुना इजाफा होने से कोई भी नहीं रोक पाएगा। मोदी-सरकार के कार्यकाल में राष्ट्रद्रोह के संवैधानिक और कानून …
Read More »भारतीय संविधान और डा.राम मनोहर लोहिया -रघु ठाकुर
भारतीय संविधान का निर्माण, आजादी के आंदोलन के दौरान चली एक लंबी प्रक्रिया से हुआ था। 19 वीं सदी के आंरभ से ही यह चर्चा शुरु हुई थी कि, भारत के संविधान को ब्रिटिश कानूनो से नही वरन भारतीय जनता के द्वारा निर्वाचित संविधान सभा के द्वारा निर्मित होना चाहिये। …
Read More »महाराष्ट्र की सियासत: ‘सवाल यह है कि हवा आई किस इशारे पर…?’- उमेश त्रिवेदी
‘चराग किसके बुझे ये सवाल थोड़ी है, सवाल यह है कि हवा आई किस इशारे पर…?’ शायर नादिम नदीम ने यह शेर कब और किन हालात में लिखा होगा, कहना मुश्किल है, लेकिन फिलवक्त इस शेर में देश की मौजूदा सियासत को कुरेदने का पूरा सामान मौजूद है। सबब यह …
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