शरीर के सही ढ़ग से काम करने के लिए विटामिन बी 12 सबसे जरूरी हैं।विटामिन शरीर के लिए बहुत जरूरी न्यूट्रिशन है।बॉडी को ठीक से काम करने के लिए विटामिंस की जरूरत होती है। इनमें सबसे जरूरी विटामिन बी12 है।इस विटामिन की लंबे समय तक कमी होने पर एनीमिया, थकान, याददाश्त खोना, मूड बिगड़ना, चिड़चिड़ापन, झुनझुनी या हाथ-पैरों में अकड़न, दिखाई देने में समस्या, मुंह के छाले, कब्ज, दस्त, मस्तिष्क संबंधी बीमारियां और बांझपन जैसी की समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि, बी12 की कमी की भरपाई की जा सकती है।
आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल के अनुसार हर मिनट हमारा शरीर लाखों रेड ब्लड सेल को प्रोड्यूस करता है।ये सेल विटामिन बी12 के बिना विकसित नहीं हो पाते, फलस्वरूप एनीमिया की शिकायत हो सकती है। ऐसे शिशुओं में विटामिन बी12 की कमी अक्सर हो जाती है, जो पूरी तरह से मां के दूध पर निर्भर करते हैं और किसी तरह का बाहरी पोषण नहीं लेते। शाकाहारियों में अक्सर इसकी कमी रहती है।
स्ट्रेस, अनहेल्दी फूड, आनुवंशिक कारकों और आंतों के रोग जैसे क्रोहन रोग, के चलते बी12 को लोग एब्जॉर्व नहीं कर पाते। 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में खाद्य पदार्थो से इसे एब्जॉर्व करने की क्षमता कम होती जाती है। पानी में घुलनशील विटामिन होने के कारण पानी का अपर्याप्त सेवन इसके अवशोषण को प्रभावित कर सकता है।
विटामिन बी12 की कमी का पता ब्लड टेस्ट से चल सकता है, जैसे कि कंप्लीट ब्लड टेस्ट (सीबीसी)। ब्लड में विटामिन बी 12 के लेवल के टेस्ट से। फोलेट (एक अन्य बी विटामिन) के स्तर को आमतौर पर संबंधित स्थिति के लिए जांचा जाता है, जिसे फोलेट की कमी वाला एनीमिया कहा जाता है।
शराब के अधिक सेवन से बचें। अधिक शराब पीने से गैस्ट्रो इंटेस्टाइन ट्रैक्ट हो जाता है और आंतों को नुकसान पहुंचता है। इससे विटामिन बी12 के अवशोषण में बाधा पहुंच सकती है.धूम्रपान छोड़ दें। यह पाया गया है कि आमतौर पर धूम्रपान करने वालों में सीरम विटामिन बी12 का स्तर कम होता है। सप्लीमेंट्स लें।
शाकाहारी भोजन में विटामिन बी12 की कमी रहती है।इसलिए बी12 युक्त मल्टविटामिन लेना अच्छा रहता है।यह विटामिन बी12 के अवशोषण में मदद करेगा। पालक, अखरोट, अंडे और केला आदि बी6 के अच्छे स्रोत हैं।इसके अलावा, सोया युक्त खाद्य पदार्थ लें और विटामिन बी12 की अधिकता वाले आहार लें। अपने आहार में विटामिन बी6 को शामिल करें।
सम्प्रति – यह आलेख केवल मेडिकल जागरूकता के लिए है।बेहतर होगा कि आप चिकित्सक से परामर्श से ही कोई निर्णय ले।