नई दिल्ली 20 अगस्त। भारत के दवा महानियंत्रक से ज़ायडस कैडिला को बच्चों और 12 वर्ष और इससे अधिक आयु के व्यस्कों को दी जाने वाली ज़ाइकोव-डी वैक्सीन के आपात उपयोग की अनुमति मिल गई है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की विज्ञप्ति के अनुसार यह विश्व की पहली और भारत की स्वदेश में विकसित डीएनए आधारित कोविड की वैक्सीन है जो बच्चों और 12 वर्ष और इससे अधिक आयु के व्यस्कों को दी जाएगी। इसे मिशन कोविड सुरक्षा के अंतर्गत जैव-प्रौद्योगिकी विभाग के साथ भागदारी में विकसित किया गया है और जैव-प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद(बीआईआरएसी) ने कार्यान्वित किया है।
तीन खुराक की यह वैक्सीन दिए जाने के बाद एसएआरएस-कोव-2 वायरस में स्पाइक प्रोटीन बनाती है और प्रतिरोधक प्रभाव उत्पन्न करती है जिससे कोविड बीमारी और वायरल क्लियरेंस के रोकथाम में मदद मिलती है। प्लग एंड प्ले प्रौद्योगिकी पर आधारित प्लाजमिड डीएनए प्लेटफॉर्म वायरस के विभिन्न स्वरूपों से आसानी से निपट सकता है।
विज्ञप्ति के अनुसार 28 हजार से अधिक लोगों पर किए गए नैदानिक परीक्षण के अंतरिम परिणामों से आरटी-पीसीआर लक्षण वाले पॉजीटिव मामलों के लिए 66 दशमलव छह प्रतिशत प्राथमिक प्रभावशीलता का पता चला है। इस वैक्सीन के लिए भारत में अब तक का सबसे बड़ा परीक्षण किया गया है। इस वैक्सीन ने पहले किए गए चरण एक और चरण दो के नैदानिक परीक्षण में मजबूत प्रतिरक्षाजनत्व और सही तथा सुरक्षा प्रदर्शित की है। चरण एक, दो और तीन के नैदानिक परीक्षण की निगरानी स्वतंत्र डेटा सुरक्षा मॉनिटरिंग बोर्ड ने की है।
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