डायबिटीज देश में तेजी से बढ़ती बीमारियों से एक हैं और इसकी चपेट में सीनियर सिटिजन्स ही नहीं बल्कि युवा और बच्चे भी आ रहे हैं। लाइफस्टाइल में कुछ जरूरी बदलाव कर ग्लूकोज के लेवल को कंट्रोल करते हुए डायबिटीज को आसानी से मैनेज किया जा सकता है। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
नींद, हमारी सेहत के लिए बेहद जरूरी है। क्वॉलिटी स्लीप हमारी फिजिकल और मेंटल हेल्थ को दुरुस्त रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आजकल लोगों की लाइफस्टाइल ऐसी हो गई है कि उन्हें नींद की कमी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है, जिससे सिर्फ मूड ही चिड़चिड़ा नहीं रहता, बल्कि और भी कई तरह के प्रभाव देखने को मिलते हैं, जिसमें डायबिटीज भी शामिल है।
व्यस्त दिनचर्या, काम का प्रेशर, फोन के ज्यादा इस्तेमाल में लोग नींद के साथ समझौता कर लेते हैं। जबकि अच्छी नींद शरीर में ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म को बनाए रखने और इंसुलिन संवेदनशीलता को कम करने में मदद कर सकता है। नींद पूरी न होने, तनाव और खराब लाइफस्टाइल की वजह से व्यक्ति के डायबिटीज के गिरफ्त में आने का खतरा बढ़ जाता है।
डॉ. सुशीला, सीनियर डायरेक्टर, इंटरनल मेडिसिन, मेदांता, गुड़गांव ने बताया कि, ‘मधुमेह के साथ-साथ ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (ओएसए) जैसी नींद संबंधी समस्या दो गंभीर स्थितियां हैं, जो एक साथ हो सकती हैं। OSA की पहचान अपर एयरवे डिस्टरबेंस यानी सांस लेने में समस्या का सामना करना है, जिसकी वजह से रात में कुछ सेकेंड के लिए सांस रुक जाती है। इस रुकावट की वजह से ब्लड में ऑक्सीजन के लेवल में कमी आती है और एप्निया की स्थिति उत्पन्न होती है। जब शरीर में ऑक्सीजन की कमी होती है, तो यह फैट सेल्स को प्रतिरोधी बना देता है, जिससे ग्लूकोज लेवल में इजाफा होता है। जिससे डायबिटीज हो सकती है। इसके अलावा, स्लीप एप्निया की वजह से ऊपरी श्वास नली बंद हो जाती है, जिससे खून में CO2 की मात्रा बढ़ जाती है और यह इंसुलिन प्रतिरोध भी ब्लड में ग्लूकोज के लेवल को बढ़ा देता है। इससे रात भर नींद में रुकावट आती है और अगले दिन व्यक्ति थका हुआ महसूस करता है।’
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, मोटापे से ग्रस्त टाइप-2 मधुमेह के 86% मरीज स्लीप एप्निया से पीड़ित होते हैं। साथ ही ओएसए और मोटापे के साथ टाइप-2 डायबिटीज मेलिटस आपस में जुड़े हुए हैं। यानी जिन्हें नींद की समस्या है, वह मोटापे के कगार पर हैं और उनके टाइप-2 डायबिटीज के साथ-साथ स्लीप एप्निया की चपेट में आने का जोखिम रहता है।
इन बदलावों से करें डायबिटीज को कंट्रोल
अच्छी नींद लें
जैसा की बताया गया कि डायबिटीज से बचाव के लिए नींद जरूरी है, तो अच्छी नींद कैसे लें इस पर काम करें। सोने-जागने का एक शेड्यूल बनाएं। बस तीन से चार दिन लगेंगे इसे सेट करने में। सुबह जल्दी उठने की आदत डालें, इससे रात को सही समय पर सो पाएंगे।
नींद से जुड़ी समस्या का करें समाधान
किसी व्यक्ति को स्लीप एप्निया जैसी नींद संबंधी समस्या होती है, तो सोते समय ऑक्सीजन की कमी हो सकती है, जो सीधे ब्लड शुगर लेवल और इंसुलिन संवेदनशीलता को प्रभावित करता है, तो अगर आपको ये समस्या है, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें और इसे दूर करने के उपायों पर काम करें।
कसरत करें
एक्टिव लाइफस्टाइल से काफी हद तक डायबिटीज के होने की संभावनाओं को कम किया जा सकता है साथ ही ये अच्छी नींद में भी सहायक होता है और तो और वर्कआउट करने से हृदय संबंधी रोगों का भी खतरा कम हो जाता है। वजन, ब्लड प्रेशर सब कंट्रोल में रहता है।
तनाव से दूर रहें
घर और ऑफिस के प्रेशर और जिम्मेदारियों की वजह से तनाव होना एक स्वाभाविक है, लेकिन इसका बने रहना व्यक्ति के स्वास्थ्य और सेहत दोनों को ही नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। तनाव की प्रतिक्रिया में निकलने वाले हार्मोन से खून में शुगर का लेवल बढ़ सकता है। इसलिए स्ट्रेस को मैनेज करने पर काम करें और खुश रहना सीखें।
आपको नींद की समस्या है या नहीं, इसे चेक करने के लिए स्लीप टेस्ट कर सकते हैं और अगर जरूरत पड़ें तो इसके लिए चिकित्सीय सलाह भी ली जा सकती है।