Sunday , September 8 2024
Home / आलेख (page 48)

आलेख

टीम इंडिया के गब्बर ने शतक ठोक कर बना डाले कई बड़े रिकॉर्ड्स

शिखर धवन ने पल्लेकेले टेस्ट के पहले ही दिन लंच के बाद शतक जमा दिया. धवन का यह टेस्ट क्रिकेट में छठा शतक है. धवन अपनी इस पारी के दौरान तूफानी अंदाज में बल्लेबाजी करते नजर आए. उन्होंने अपने 100 रन महज 107 गेंदों में पूरे कर लिए. वैसे धवन …

Read More »

समान शिक्षा के हो संवैधानिक प्रावधान – रघु ठाकुर

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक क्रांतिकारी निर्णय जिसमें न्यायमूर्ति अग्रवाल ने यह निर्णय दिया था कि समान शिक्षा की व्यवस्था होना चाहिये, और अधिकारियों, नेताओं और सभी बड़े पदों और सम्पन्न लोगों के बच्चों को एक ही स्कूल में पढ़ना चाहिये। इसके तुंरत बाद देश में समान शिक्षा के मुद्दे …

Read More »

वेबस हैं देश का अन्नदाता – रघु ठाकुर

सदियों से हम लोग कुछ जुमलो को दोहराते रहे है, जैसे भारत एक कृषि प्रधान देश है और किसान अन्नदाता है। निःसंदेह भारत की पिछले हजार दो हजार साल की अर्थ व्यवस्था कृषि पर आधारित रही है हांलाकि यह इस अर्थ में सही है कि अधिकांश लोग कृषि कार्य करते …

Read More »

प्रधानमंत्री की खामोशी के अर्थ-अनर्थ – संजय द्विवेदी

तय मानिए यह देश नरेंद्र मोदी को, मनमोहन सिंह की तरह व्यवहार करता हुआ सह नहीं सकता। पूर्व प्रधानमंत्री मजबूरी का मनोनयन थे, जबकि नरेंद्र मोदी देश की जनता का सीधा चुनाव हैं। कई मायनों में वे जनता के सीधे प्रतिनिधि हैं। जाहिर है उन पर देश की जनता अपना …

Read More »

चुप्पी तोड़िये प्रधानमंत्री जी ! – भंवर मेघवंशी

आज देश के हर क्षेत्र के नामचीन लोग यह कह रहे है कि देश में सहिष्णुता का माहौल नहीं है,.अविश्वास और भय की स्थितियां बन गयी है ,फिर भी सत्ता प्रतिष्ठान के अधिपति इस बात को मानने को राजी नहीं दिखाई दे रहे है .साहित्यकारों द्वारा अवार्ड लौटाए जाने को …

Read More »

मुठभेड़ के नाम पर बंद हो सरकारी हिंसा-दिवाकर मुक्तिबोध

आत्मसमर्पित नक्सलियों को छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा नौकरी में लेने की पेशकश क्या राज्य में हिंसात्मक नक्सलवाद के ताबूत पर आखिरी कील साबित होगी? शायद हां, पर इसकी पुष्टि के लिए कुछ वक्त लगेगा जब राज्य सरकार की इस योजना पर पूरी गंभीरता एवं ईमानदारी से अमल शुरु होगा। दरअसल बस्तर …

Read More »

छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता के शीर्ष पुरुषों में थे बबन जी – दिवाकर मुक्तिबोध

पहले सर्वश्री मायाराम सुरजन फिर रामाश्रय उपाध्याय, मधुकर खेर, सत्येंद्र गुमाश्ता, रम्मू श्रीवास्तव, राजनारायण मिश्र, कमल ठाकुर और अब श्री बबन प्रसाद मिश्र। छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता के ये शीर्ष पुरुष एक – एक करके दुनिया से विदा हो गए और अपने पीछे ऐसा शून्य छोड़ गए जिसकी भरपाई मुश्किल नजर …

Read More »

पुस्तक समीक्षा- दीनदयाल जी पर एक प्रामाणिक किताब–सईद अंसारी

    पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का शताब्दी वर्ष 25 सितंबर 2015 से शुरू हुआ है। इस मौके पर लेखक संजय द्विवेदी ने दीनदयाल पर बेहद प्रामाणिक, वैचारिक सामग्री इस किताब के रूप में पेश की है। निश्चित रूप से इस प्रयास के लिए संजय बधाई के पात्र हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के पूरे व्यक्तित्व का आकलन …

Read More »

अधिकार कानूनों की नीयत और हकीकत -डा.संजय शुक्ला

केन्द्र और राज्य सरकार ने समय-समय पर ऐसी कई योजनाएं और अधिकार कानून लागू किए हैं जिनका देश की आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक व शैक्षणिक व्यवस्था पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से गहरा असर पड़ा है।इन योजनाओं एवं अधिकार कानूनों के मूल में निःसंदेह सत्ताधारी दल की नियत राजनीतिक नफा …

Read More »

कौन चाहता है बन जाए राममंदिर ? -संजय द्विवेदी

राममंदिर के लिए फिर से अयोध्या में पत्थरों की ढलाई का काम शुरू हो गया है।नेताओं की बयानबाजियां शुरू हो गयी हैं। उप्र पुलिस भी अर्लट हो गयी है। कहा जा रहा है कि पत्थरों की यह ढलाई राममंदिर की दूसरी मंजिल के लिए हो रही है। राममंदिर के लिए …

Read More »