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आलेख

छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता के शीर्ष पुरुषों में थे बबन जी – दिवाकर मुक्तिबोध

पहले सर्वश्री मायाराम सुरजन फिर रामाश्रय उपाध्याय, मधुकर खेर, सत्येंद्र गुमाश्ता, रम्मू श्रीवास्तव, राजनारायण मिश्र, कमल ठाकुर और अब श्री बबन प्रसाद मिश्र। छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता के ये शीर्ष पुरुष एक – एक करके दुनिया से विदा हो गए और अपने पीछे ऐसा शून्य छोड़ गए जिसकी भरपाई मुश्किल नजर …

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पुस्तक समीक्षा- दीनदयाल जी पर एक प्रामाणिक किताब–सईद अंसारी

    पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का शताब्दी वर्ष 25 सितंबर 2015 से शुरू हुआ है। इस मौके पर लेखक संजय द्विवेदी ने दीनदयाल पर बेहद प्रामाणिक, वैचारिक सामग्री इस किताब के रूप में पेश की है। निश्चित रूप से इस प्रयास के लिए संजय बधाई के पात्र हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के पूरे व्यक्तित्व का आकलन …

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अधिकार कानूनों की नीयत और हकीकत -डा.संजय शुक्ला

केन्द्र और राज्य सरकार ने समय-समय पर ऐसी कई योजनाएं और अधिकार कानून लागू किए हैं जिनका देश की आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक व शैक्षणिक व्यवस्था पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से गहरा असर पड़ा है।इन योजनाओं एवं अधिकार कानूनों के मूल में निःसंदेह सत्ताधारी दल की नियत राजनीतिक नफा …

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कौन चाहता है बन जाए राममंदिर ? -संजय द्विवेदी

राममंदिर के लिए फिर से अयोध्या में पत्थरों की ढलाई का काम शुरू हो गया है।नेताओं की बयानबाजियां शुरू हो गयी हैं। उप्र पुलिस भी अर्लट हो गयी है। कहा जा रहा है कि पत्थरों की यह ढलाई राममंदिर की दूसरी मंजिल के लिए हो रही है। राममंदिर के लिए …

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न अजीत जोगी खारिज, न मोतीलाल वोरा-दिवाकर मुक्तिबोध

कांग्रेस बैठे-ठाले मुसीबत मोल न ले तो वह कांग्रेस कैसी? अपनों पर ही शब्दों के तीर चलाने वाले नेता जब इच्छा होती है, शांत पानी में एक कंकड़ उछाल देते है और फिर लहरे गिनने लग जाते हैं। छत्तीसगढ़ कांग्रेस में पिछले चंद महीनों से काफी कुछ ठीक-ठाक चल रहा …

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भूखे भारत में अनाज की बर्बादी – डा.संजय शुक्ला

ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में कुल भूख से पीडि़त संख्या का एक चौथाई भाग भारत में रहता है।पाकिस्तान, बंग्लादेश और श्रीलंका जैसे हमारे पड़ोसी देश लगातार आंतरिक अशांति व अस्थिरता से जूझने के बावजूद हमसे बेहतर स्थिति में है। भूख का सीधा संबंध कुपोषण से है जिसके …

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आतंकवाद से कैसे लड़ें – संजय द्विवेदी

आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई कड़े संकल्पों के कारण धीमी पड़ रही है। पंजाब के हाल के वाकये बता रहे हैं कि हम कितनी गफलत में जी रहे हैं। राजनीतिक संकल्पों और मैदानी लड़ाई में बहुत अंतर है, यह साफ दिख भी रहा है। पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसियों के …

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फसलों की कीमतों का उतार चढ़ाव बिचौलियों का खेल – रघु ठाकुर

भारत सरकार ने हाल में ही प्याज को निर्यात करने की अनुमति देने का फैसला किया।सरकार की ओर से यह कहा गया है कि किसानों को प्याज के दाम पर्याप्त मिल सके इसलिये प्याज को निर्यात करने का निर्णय किया गया।अभी कुछ ही माह पहले दिल्ली विधानसभा चुनाव के समय …

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सांप्रदायिकता से कौन लड़ना चाहता है ? – संजय द्विवेदी

देश भर के तमाम हिस्सों से सांप्रदायिक उफान, गुस्सा और हिंसक घटनाएं सुनने में आ रही हैं। वह भी उस समय जब हम अपनी सुरक्षा चुनौतियों से गंभीर रूप से जूझ रहे हैं। एक ओर पठानकोट के एयरबेस पर हुए हमले के चलते अभी देश विश्वमंच पर पाकिस्तान को घेरने …

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वोट एवं बुलेट ट्रेन का खेल – रघु ठाकुर

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी व जापान के प्रधानमंत्री श्री आबे के बीच, जो बातचीत व करार हुआ, उसी का एक हिस्सा देश में, बुलेट ट्रेन के लिये, जापान की भूमिका का निर्णय है।जापान अहमदाबाद से मुम्बई के बीच, बुलेट ट्रेन की परियोजना को क्रियान्वित करायेगा तथा भारत को इसके लिये …

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