(हिंदी दिवस पर विशेष) फिर से एक बार देश में हिन्दी विरोधी अभियान शुरु हुआ है। कुछ शैक्षणिक संस्थाओं ने शोध कार्य के लिये अंग्रेजी की अनिवार्यता तय की है। निजी शिक्षण संस्थाओं में विशेषतः बाल शिक्षा (के.जी) और प्राथमिक शिक्षा में न केवल अंग्रेजी को अनिवार्य रुप से …
Read More »हिंदी राजभाषा राष्ट्रभाषा या वैश्विक भाषा ? – डॉ.राजाराम त्रिपाठी
“हिंदी दिवस” के बहाने हर साल हम सब उसी पुराने झुनझुने को बजाते हैं,, हिंदी हमारी आत्मा है, हिंदी हमारी पहचान है, हिंदी की जय हो। और अगले ही पल फाइलें, आवेदन पत्र, आदेश और अदालती कार्यवाही अंग्रेज़ी में ही चलती रहती हैं। यह वही स्थिति है, जिसे कवि भवानीप्रसाद …
Read More »टैरिफ की आँधी में स्वदेशी की मशाल: एकजुट भारत का आर्थिक धर्मयुद्ध -डॉ. राजाराम त्रिपाठी
हाल में लागू अमेरिकी 50% टैरिफ के बावजूद भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह आर्थिक युद्ध राजनीति से ऊपर उठकर लड़ना होगा। देश को जब समझने की जरूरत है कि , अब यह केवल आर्थिक मुद्दा नहीं है, यह सीधे सीधे देश के आत्मस्वाभिमान से जुड़ा …
Read More »शुचिता की आड़ में संविधान संशोधन एक अधिकारवादी तंत्र स्थापना की कोशिश – रघु ठाकुर
(रघु ठाकुर) भारत सरकार ने अचानक पिछले 20 अगस्त को संसद में एक बिल प्रस्तावित किया जिसे 130 वां संविधान संशोधन विधेयक 2025 बताया गया। इस संशोधन प्रस्ताव के माध्यम से यह प्रस्तावित किया गया है कि अगर कोई व्यक्ति जो किसी संवैधानिक पद पर है गिरफ्तार किया जाता है …
Read More »संपादक के विस्थापन का कठिन समय !-प्रो.संजय द्विवेदी
(हिंदी पत्रकारिता के 200 साल) हिंदी पत्रकारिता के 200 साल की यात्रा का उत्सव मनाते हुए हमें बहुत से सवाल परेशान कर रहे हैं जिनमें सबसे खास है ‘संपादक का विस्थापन’। बड़े होते मीडिया संस्थान जो स्वयं में एक शक्ति में बदल चुके हैं, वहां संपादक की सत्ता और …
Read More »छत्तीसगढ़ का मंगल पाण्डे लश्कर हनुमान सिंह-धनंजय राठौर
(स्वतंत्रता दिवस पर विशेष) 1857 के विद्रोह को कई नामों से जाना जाता है, जिनमें भारतीय विद्रोह, सिपाही विद्रोह, 1857 का महान विद्रोह, भारतीय विद्रोह और भारतीय स्वतंत्रता का पहला युद्ध शामिल है। 19वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध तक, ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत के बड़े हिस्से को अपने नियंत्रण में …
Read More »आदिवासी सत्य : विश्व आदिवासी दिवस पर आत्मचिंतन- डॉ.राजाराम त्रिपाठी
सभी जनजातीय क्षेत्रों में 09 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस तीर-कमान, ढोल-मृदंग और पारंपरिक वेशभूषा तथा पारंपारिक नृत्य के साथ मनाया गया। खूब भाषणबाज़ी हुई। जैसे अन्य ‘दिवसों’ पर होती है, वही शाश्वत वादे, वही पुरानी घोषणाएँ, वही भावनात्मक नारों की गूंज। लेकिन आज, एक दिन बाद, जब उत्सव …
Read More »गुलाम थे तो एक थे, आजादी मिलते ही बंट क्यों गए : प्रो. संजय द्विवेदी
भारत गुलाम था तो हमारे नारे थे ‘वंदेमातरम्’ और ‘भारत माता की जय’। आजादी के बहुत सालों बाद नारे गूंजे ‘भारत तेरे टुकड़े होंगें’। क्या भारत बदल गया है या उसने आजादी के आंदोलन और उसके मूल्यों से खुद को काट लिया है। आजाद भारत की यह त्रासदी है कि …
Read More »लोकतंत्र,समता और संपन्नता तीनों चाहिये साथ-साथ – रघु ठाकुर
समाजवादी विचारधारा को लेकर सदैव कई प्रकार के संशय और आरोप लगाए जाते रहे हैं। यद्यपि आजादी के कई वर्षों के बाद स्वयं जवाहरलाल नेहरू ने समाजवादी ढंग की समाज रचना का उल्लेख कांग्रेस पार्टी के अवाड़ी अधिवेशन में एक प्रस्ताव में कराया था और वह भी इनकी लाचारी थी, …
Read More »नकली खाद का जाल, किसान परेशान – डा.राजाराम त्रिपाठी
बीज तो बोया था अमृतमय अन्न का, बोरी वाली खाद डाली थी बढ़िया सरकारी सील-ठप्पे वाली, पर फसल से निकला ऐसा कुछ कि न पेट भरा, ना जेब।फटी जेब की सिलाई भी नहीं हो पाई और खेत की जमीन भी बंजर हो गई। जिस धरती को ‘भारत माता’ कहा …
Read More » CG News | Chhattisgarh News Hindi News Updates from Chattisgarh for India
CG News | Chhattisgarh News Hindi News Updates from Chattisgarh for India
				 
			 
				
			 
				
			 
				
			 
				
			 
				
			 
				
			