Friday , October 10 2025

आलेख

सब अर्बन ट्रेनों का परिचालन: निजीकरण की ओर बढ़ता कदम – रघु ठाकुर

रघु ठाकुर कुछ समाचार पत्रों में इस आशय के समाचार आए हैं कि सब-अर्बन ट्रेनों को रेल-नेटवर्क से अलग करके राज्यों को सौंपने का प्रस्ताव नीति आयोग की ओर से सरकार के पास पहुंचाया गया है। इस प्रस्ताव के अनुसार रेलवे की माली हालत सुधारने के लिए यह आवश्यक है। …

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‘रेजांगला युद्ध’ पर जमी धूल हटाने की कोशिश !-सन्तोष यादव

(18 नवम्बर शहादत दिवस पर विशेष) (सन्तोष यादव)      इतिहास के पन्नों में दर्ज रेजांगला युद्ध की कहानियों पर जमी धूल हटाने की वर्ष 2010 में शुरू कोशिश अब भी जारी है।  लगभग डेढ़ दशक पहले शहादत की अनूठी दास्तां को घर-घर पहुँचाने की शुरू मुहिम मुकाम की ओर है।  …

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बस्तर पहुंचना आज भी है दुश्कर ! – डा.राजाराम त्रिपाठी

आजादी के 78 साल बाद भी बस्तर की यातायात सुविधाएं देश के अन्य हिस्सों की तुलना में नितांत निराशाजनक हैं। हाल ही में खबर आई कि इंडिगो अपनी जगदलपुर से रायपुर और हैदराबाद की उड़ानें बंद कर रहा है, जो बस्तरवासियों के लिए एक और झटका है। आश्चर्य का विषय …

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रतन टाटा: भारतीय उद्योग के महानायक और सेवा के प्रतीक-डा.राजाराम त्रिपाठी

  रतन टाटा का देहावसान न केवल एक महान उद्योगपति की मृत्यु है, बल्कि भारतीय व्यवसायिक परंपरा और नैतिक मूल्यों की युगांतरकारी विभूति का अंत है। भले ही उनका पारसी रीति से अंतिम संस्कार हो, उनके विचार, सिद्धांत और योगदान सदैव अमर रहेंगे। वे सिर्फ एक महान कारोबारी नहीं थे, …

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हिंदी दिवस: हिंदी का उत्सव या मातम ? –डा.राजाराम त्रिपाठी

मैं काफी हवाई यात्राएं करता हूं और किताबें पढ़ने का भी बड़ा शौकीन हूं, कई भाषाएं जानता समझता हूं पर पढ़ने का आनंद मुझे हिंदी में ही आता है।निर्धारित समय से पूर्व एयरपोर्ट पहुंचने पर मेरा समय प्रायः वहां की किताब की दुकानों में गुजरता है। किंतु यह विडंबना ही …

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विसंगतियों की भेंट चढ़ती भारत की कृषि नीतियां – डा.राजाराम त्रिपाठी

“मरीज ए इश्क पर रहमत खुद की, मरज बढ़ता गया जूं जूं दवा की” मियां ग़ालिब की यह दो पंक्तिया भारत की खेती और किसानों के हालात पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं। संदर्भ यह है कि हाल ही में देश का ‘आर्थिक सर्वेक्षण’ और सालाना बजट- 24 लगातार दो दिनों …

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छत्तीसगढ़ की समृद्ध आदिवासी संस्कृति की देश-विदेश में अलग पहचान – छगनलाल लोन्हारे/जी.एस. केशरवानी

(विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त पर विशेष) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने छत्तीसगढ़ में 32 प्रतिशत जनजातीय समुदाय की आबादी को देखते हुए राज्य की बागडोर विष्णु देव साय के हाथों में सौंपी है। राज्य गठन के 23 वर्षों बाद वे ऐसे पहले आदिवासी नेता है जिन्हें राज्य के मुखिया के …

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बजट 24:  किसानों के साथ एक बार फिर छलावा- डा.राजाराम त्रिपाठी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट-24 दो मायनों में अभूतपूर्व रहा। पहली तो यह कि देश के इतिहास में पहली बार किसी वित्त मंत्री ने 7 वीं बार बजट पेश किया है, हालांकि इस रिकॉर्ड के बनने से देश का क्या भला होने वाला है तथा इकोनॉमी पर क्या प्रभाव …

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ईरान के चुनाव: उम्मीद की नई किरण – रघु ठाकुर

ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर पश्चिमी दुनिया ने जो प्रतिबंध ईरान पर लगाये थे जिससे ईरान का व्यापार सिकुड़ा है, डॉ. मसूद की नीति के चलते अब यह संभावना है कि इन प्रतिबंधों से ईरान को मुक्ति मिले और ईरान, यूरोप व दुनिया में व्यापार व विकास का एक …

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देश के 85 प्रतिशत खेत हो रहे बांझ, इसका असल जिम्मेदार कौन ? – राजाराम त्रिपाठी

  केन्द्र में एक और नई सरकार चुनकर आ गई है। पिछले 5 सालों में विभिन्न कारणों से किसान लगातार आंदोलित रहे हैं। पर आज हम ना तो आंदोलनों की बात करेंगे ना किसी सरकार पर कोई आरोप लगाएंगे। हम यहां भारतीय खेती की वर्तमान दशा-दिशा का एक निष्पक्ष समग्र …

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