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आलेख

राष्ट्रपति चुनाव और ममता बनर्जी – राज खन्ना

2012 के राष्ट्रपति चुनाव के मौके पर ममता बनर्जी के उस दौर के दो निकट सहयोगियों ने प्रणव मुखर्जी से कहा था कि ममता बनर्जी के दिमाग में क्या चल रहा है, ये समझना मुश्किल है। उस चुनाव के पहले ममता ने ए. पी.कलाम को उम्मीदवार बनाने के लिए कोलकाता …

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यशवंत सिन्हाः राष्ट्रपति पद के विपक्ष के उम्मीदवार – राज खन्ना

शरद पवार, फारुख अब्दुल्ला और गोपाल कृष्ण गांधी के इंकार के बाद विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए आखिरी नाम यशवंत सिन्हा का था। पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव के पूर्व तृणमूल कांग्रेस से जुड़ने वाले सिन्हा का किसी बेहतर समायोजन के लिए इंतजार लंबा खिंचता जा रहा …

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छत्तीसगढ़ में एयर कनेक्टिविटी की उम्मीदों को मिली नई उड़ान- आनंद सोलंकी/घनश्याम केशरवानी

तरक्की और विकास का रिश्ता अच्छी कनेक्टिविटी से जुड़ा है। कनेक्टिविटी की सुविधा जितनी ज्यादा होगी वहां विकास उतना ही तेजी से होता है। यह सुविधा लोगों को एक दूसरे से जोड़ती है वही क्षेत्रीय असंतुलन को भी दूर करने में मदद करती है। अच्छी सड़क और हवाई कनेक्टिविटी जीवन …

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पत्रकारिता पर भरोसे का संकट- राज खन्ना

हिन्दी का पहला अख़बार ” उदन्त मार्तण्ड ” 30 मई 1826 को कलकत्ता से छपा था। यह साप्ताहिक था। कानपुर के पंडित युगल किशोर शुक्ल संपादक थे। अख़बार को कम उम्र मिली। 11 दिसम्बर 1827 को आखिरी अंक छपा। बन्द हो चुके इस अखबार के 1976 में डेढ़ सौ साल …

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भूपेश की ग्रामीण पृष्ठभूमि और ठेठ छत्तीसगढियापन भा रहा हैं लोगो को – दिवाकर मुक्तिबोध

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इन दिनों ग्रामीण जनता से सीधे संवाद के लिए उनके बीच हैं। चार मई से उनकी यात्रा सरगुजा संभाग के बलरामपुर जिले से प्रारंभ हुई जो संभवतः 15 जून तक चलेगी। वे सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में जाएंगे। हर जिला मुख्यालय में वे रात्रि विश्राम …

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खैरागढ़ उपचुनावः छत्तीसगढ़ के आगामी राजनीतिक परिदृश्य पर नजर – दिवाकर मुक्तिबोध

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आसानी से ‘सत्ता का कथित सेमीफाइनल ‘ जीत लिया है। खैरागढ़ उपचुनाव को वे सत्ता का सेमीफाइनल ही मानते थे। भाजपा भी इसे सेमीफाइनल मानकर चल रही थी। यहां 12 अप्रैल को मतदान हुआ और 16 को मतगणना के साथ ही यह सीट भी …

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लोहिया की नेहरू और कांग्रेस की आलोचना में निजी बैर जैसा नही था कुछ – राज खन्ना

(जन्मदिन 23 मार्च पर विशेष) डॉक्टर राम मनोहर लोहिया अपना जन्मदिन नही मनाते थे। उनके जन्मदिन 23 मार्च की तारीख़ अमर शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की शहादत की तारीख है। अपने जन्मदिन पर इन शहीदों की याद उनके लिए अधिक महत्वपूर्ण थी। 23 मार्च 1910 को जन्मे लोहिया …

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कश्मीरः 1990 के संकट का वह दौर- राज खन्ना

फ़िल्म ‘ कश्मीर फाइल्स ‘ देखें कि न देखें की जंग के बीच घाटी से कश्मीरी पंडितों के निष्कासन का मुद्दा गरम है। भाजपा पर फ़िल्म के नाम पर राजनीति करने के तो दूसरी ओर विरोध करने वालों पर सच से मुंह छिपाने के जबाबी प्रहार हो रहे हैं। इस …

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जनधन की लूट का अटूट सिलसिला – रघु ठाकुर

स्व. इंदिरा गांधी ने 1976 में आपातकाल में पूर्व सांसदों को पेंशन देने का कानून पारित किया था। यद्यपि मेरी राय में यह संवैधानिक नहीं था क्योंकि संविधान में उन पदों का नाम सहित उल्लेख है जिन्हें पेंशन देने का नियम सरकार बना सकती है। उसके बाद यह सिलसिला राज्यों …

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क्या कट्टरपंथी ताकतें महात्मा गाँधी के विचारों को मार पायेंगी ? -रघु ठाकुर

आजादी का 75वाँ वर्ष पूरा होने जा रहा है, और राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की हत्या का भी यह 74वाँ वर्ष है, परन्तु लगभग पौन सदी बीत जाने के बाद भी गाँधी पर हमले जारी हैं। जिनका शरीर 74 वर्ष पूर्व समाप्त हो गया। आज भी उन जमातों के लिये जिन्होंने …

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