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आलेख

‘नास्त्रेदमस’ के मोदी और ‘सतयुग’ में ‘सियासी-सत्कर्म’(?) की कहानी – उमेश त्रिवेदी

विश्‍व-गुरू’ और ’वैश्‍विक आर्थिक शक्ति’ बनने के लिए आतुर भारत के प्रारब्ध को लेकर लोगों के मन में उत्सुकता स्वाभाविक है। इतिहास-भूगोल, वेद-पुराण, भृगु-संहिता, ज्योतिष शास्त्र के साथ पिंजरे में बंद तोता-मैना की प्रश्‍नावलियों तक, महान भारत की तलाश अर्से से जारी है। सोलहवी शताब्दी फ्रांस में जन्मे विश्‍वविख्यात भविष्यवक्ता …

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कोरोना के बाद की दुनिया कैसी होगी? –रघु ठाकुर

कोरोना के वैश्विक संकट से समूची दुनिया में बहस शुरू हुई है और इस महामारी के विश्व पर क्या प्रभाव हो सकते हैं ? इसकी भी चर्चा शुरू हो रही है।भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी भविष्य को लेकर कुछ बिंदु अपने लेख के माध्यम से रखे …

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ट्रम्प पर सितम, मोदी पर करम… ऐ मीडिया, तू ये जुर्म न कर… – उमेश त्रिवेदी

अमेरिका के तथाकथित बे-मुरव्वत, बे-रहम और बे-गैरत मीडिया के शत्रुतापूर्ण सवालों से उत्तेजित अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की नाराजी के बाद भारत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति मीडिया की रहमदिली और रजामंदी के अफसानों की खामोशी छप्पन इंच का सीना तानकर लोकतंत्र के सामने खड़ी हो गई है। अमेरिका …

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गांधी और जिन्ना – राज खन्ना

गांधी जी ने कहा,” जब आप बताएंगे कि प्रस्ताव मेरा है, तो जिन्ना कहेंगे “धूर्त गांधी।” माउंटबेटन की टिप्पणी थी,” और मैं समझता हूं जिन्ना सही होंगे।” वायसराय की जिम्मेदारी संभालने के बाद माउंटबेटन ने भारतीय नेताओं से मुलाकात का सिलसिला शुरु किया। 1 और 2 अप्रेल 1947 को माउंटबेटन …

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प्रसंग अर्णब: टीआरपी के लिए ‘मुर्गे’ लड़ाने के शौक में मारे गए ‘गुलफाम’- उमेश त्रिवेदी

प्रसंग-अर्णब के विवादास्पद ’टैक्स्ट’ में प्रेस की कथित आजादी, पत्रकारों की कथित सुरक्षा, वैचारिक-विश्‍व में ’सहिष्णु’ भाजपा और ’असहिष्णु’ कांग्रेस, राजनीतिक आरोप और मार-पीट जैसे कई प्रसंग और सवाल मौजूद हैं। इस पटकथा की बुनावट मकड़ी के जाले जैसी कॉम्प्लेक्स है। कांग्रेस के हमले के विरूद्ध भाजपा के शीर्ष नेतृत्व …

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समाजवाद के बिना संविधान अधूरा-रघु ठाकुर

टेलीविजन नहीं होने के कुछ फायदे भी हैं यद्यपि कुछ नुकसान भी हैं कि कई घटनाओं की तुरंत जानकारी नहीं मिल पाती। मुझे एक मित्र ने बताया कि कुछ दिनों पहले भाजपा के राज्यसभा सांसद श्री राकेश सिन्हा जी ने कहा कि संविधान से समाजवाद शब्द हटा देना चाहिए। वैसे …

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मुमुक्षु-भवन की खिडकी से दिखता चांद-पंकज शर्मा

बचपन से सुनते आ रहे थे कि भैया, मनुष्य बली नहीं होता है, बलवान तो समय होता है; वरना वही अर्जुन थे और वही उनका गांडीव धनुष था, लेकिन भील गापियों को लूट ले गए तो लूट ही ले गए। महाभारत जीतने वाले अर्जुन उसके बाद मुट्ठी भर लुटेरों का …

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लाकडाउन और उसके परिणाम – रघु ठाकुर

दुनिया में करोना संक्रमित लोगों की संख्या आज तक (18 अप्रैल)22 लाख से अधिक हो चुकी है और भारत में संक्रमित लोगों की संख्या 14378 तथा 480 लोगों की मृत्यु बताई जा रही है। निसन्देहः संक्रमण का प्रभाव इन आंकड़ों के अनुसार भारत में दुनिया में सबसे कम है और …

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कोरोना के मानवीय तकाजों के आईने में मोदी का भाषण – उमेश त्रिवेदी

कोरोना एपिसोड के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चौथे राष्ट्रीय संबोधन के कुछ घंटों के भीतर ही मुंबई के बांद्रा स्टेशन पर हजारों प्रवासी मजूदरों के उग्र महापलायन की घटना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि आम लोगों के विश्‍वास के दायरे तेजी से सिकुड़ने लगे हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री …

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विभाजन की कीमत पर आजादी- राज खन्ना

गांधी जी ने हल्की शिकायत की मुद्रा में कहा,” नेहरु और सरदार पटेल ने उसकी सूचना उन्हें नही दी।” गांधी जी अपनी पूरी बात कह पाते इसके पहले आवेश में पंडित नेहरु ने प्रतिवाद किया,” वे उनको बराबर पूरी जानकारी देते रहे हैं।” गांधी जी के फिर दोहराने पर कि …

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