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आलेख

राष्ट्रीय सुरक्षा पर उदासीन संसद-रघु ठाकुर

जून माह में जम्मू के भारतीय सैन्य अड्डे पर आतंकवादियों ने ड्रोन से हमला कर कई विस्फोट किये थे। यद्यपि इन विस्फोटो से कोई क्षति विशेष नहीं हुई परन्तु आतंकवादियों द्वारा भारत की सीमा पर इस नये प्रयोग को लेकर सैन्य अधिकारियों और सुरक्षा अधिकारियों में चिंता व्याप्त है। बताया …

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नरेंद्र भाई और छद्म-गैयाओं के बीच हम – पंकज शर्मा

नरेंद्र भाई मोदी राजकाज के हर कूचे में बेआबरू हैं। वे आर्थिक बहीखाते के हर पन्ने के खलनायक हैं। वे देश की सुरक्षा के बाहरी-भीतरी मोर्चों पर लड़खड़ाए हुए हैं। वे राजनय के हर अंतःपुर में अवांछित-से हो गए हैं। वे देश की सामाजिक फुलवारियों के कंटक हैं। वे सवा …

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आपातकाल की ओर बढ़ता देश ? – रघु ठाकुर

भारत सरकार ने सेन्ट्रल रूल ऑफ 2007 जो 2008 में अधिसूचित हुये थे,में संशोधन किया है। इसमें से दो संशोधन विशेष महत्व के एवं चर्चा योग्य है। क्योंकि इनका प्रभाव संविधान द्वारा प्रदत्त लोकतांत्रिक अधिकारों के विपरीत हो सकता है।पहला संशोधन यह है कि 2008 की अधिसूचना में विभागीय गोपनीयता …

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लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या घटा कर 148 कैसे की जाए ! –पंकज शर्मा

अगर कोई राज्यों में विधायकों की संख्या बढ़ाने की बात करे तो समझ में भी आए। सांसदों की संख्या बढ़ाने की बात से मुझे या तो मूर्खता की गंध आती है या फिर किसी साज़िश की बू। इससे किसी के प्रधानमंत्री बनने या बने रहने की राह भले ही हरी-भरी …

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मृत्यु का दर्शन क्या हो ?- रघु ठाकुर

गत 03 जुलाई 21 की रात 11 बजे मुझे एक डा.मित्र ने सूचना दी की डा.एच.एन. भूरिया ने भोपाल में अपने घर में फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली है।उन्हें यह जानकारी कहीं से मिली थी कि डा.भूरिया कुछ दिनों पहले कोविड से पीड़ित हुये थे। यद्यपि वे उससे स्वस्थ्य हो …

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पंजाब की त्रिशंकु-गोद का राजनीति शास्त्र –पंकज शर्मा

राजनीति शास्त्र का यह पन्ना कहता है कि किसान आंदोलन से उपजी ऊर्जा का पंजाब में सही इस्तेमाल करने के लिए सोनिया गांधी और राहुल-प्रियंका को अभी और बहुत पापड़ बेलने हैं। बुजु़र्ग जाएं। युवा आएं। लेकिन कौन-से बुज़ुर्ग जा रहे हैं और कौन-से युवा आ रहे हैं? किसी भी …

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संयुक्त राष्ट्र में भारत लाए विश्व संसद दिवस घोषित करने का प्रस्ताव- रघु ठाकुर

वर्ष के 365 दिन में से अधिकांश दिन यू.एन.ओ. के कैलेण्डर में किसी न किसी दिवस के रूप में दर्ज हैं, जो एक प्रकार से अंतरराष्ट्रीय या वैश्विक मान्यता प्राप्त होते हैं। अतः आमतौर पर दुनिया में उनके विषय के बारे में कुछ विस्तार से सरकार, मीडिया और समाज के …

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वर्ष 2020: क्या खोया क्या पाया – रघु ठाकुर

वर्ष 2020 का साल लगभग 80 वर्षों के बाद एक बड़ी त्रासदी का साल रहा है। इसकी शुरूआत ही न केवल देश में बल्कि दुनिया में एक ऐसी महामारी से हुई जो अज्ञात भी थी और ला ईलाज भी। 100 साल पहले 1920 के आसपास देश में प्लेग फैला था …

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नेपाल में उभरते संकेतों के मायने – रघु ठाकुर

नेपाल में हाल ही में दो घटनाएं घटित हुई हैं जो आश्चर्यजनक और विचारणीय भी हैं। कुछ दिनों पहले एक जुलूस काठमांडू की सड़कों पर निकला जो माँग कर रहा था कि, नेपाल को हिन्दू राष्ट्र बनाया जाना चाहिए और उसके कुछ अंतराल से एक और जुलूस निकला जो नेपाल …

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संघ चाहता था अटल जी राष्ट्रपति बनें – राज खन्ना

(जन्मदिन 25 दिसम्बर पर विशेष) 2002 में संघ चाहता था कि अटलजी राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी संभाले। प्रोफेसर राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) इस सिलसिले में अटलजी से मिले भी थे। संघ की इस पेशकश के पीछे अन्य कारणों के साथ अटलजी के घुटनों की समस्या भी थी। प्रधानमंत्री के पद …

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