अगर कोई राज्यों में विधायकों की संख्या बढ़ाने की बात करे तो समझ में भी आए। सांसदों की संख्या बढ़ाने की बात से मुझे या तो मूर्खता की गंध आती है या फिर किसी साज़िश की बू। इससे किसी के प्रधानमंत्री बनने या बने रहने की राह भले ही हरी-भरी …
Read More »मृत्यु का दर्शन क्या हो ?- रघु ठाकुर
गत 03 जुलाई 21 की रात 11 बजे मुझे एक डा.मित्र ने सूचना दी की डा.एच.एन. भूरिया ने भोपाल में अपने घर में फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली है।उन्हें यह जानकारी कहीं से मिली थी कि डा.भूरिया कुछ दिनों पहले कोविड से पीड़ित हुये थे। यद्यपि वे उससे स्वस्थ्य हो …
Read More »पंजाब की त्रिशंकु-गोद का राजनीति शास्त्र –पंकज शर्मा
राजनीति शास्त्र का यह पन्ना कहता है कि किसान आंदोलन से उपजी ऊर्जा का पंजाब में सही इस्तेमाल करने के लिए सोनिया गांधी और राहुल-प्रियंका को अभी और बहुत पापड़ बेलने हैं। बुजु़र्ग जाएं। युवा आएं। लेकिन कौन-से बुज़ुर्ग जा रहे हैं और कौन-से युवा आ रहे हैं? किसी भी …
Read More »संयुक्त राष्ट्र में भारत लाए विश्व संसद दिवस घोषित करने का प्रस्ताव- रघु ठाकुर
वर्ष के 365 दिन में से अधिकांश दिन यू.एन.ओ. के कैलेण्डर में किसी न किसी दिवस के रूप में दर्ज हैं, जो एक प्रकार से अंतरराष्ट्रीय या वैश्विक मान्यता प्राप्त होते हैं। अतः आमतौर पर दुनिया में उनके विषय के बारे में कुछ विस्तार से सरकार, मीडिया और समाज के …
Read More »वर्ष 2020: क्या खोया क्या पाया – रघु ठाकुर
वर्ष 2020 का साल लगभग 80 वर्षों के बाद एक बड़ी त्रासदी का साल रहा है। इसकी शुरूआत ही न केवल देश में बल्कि दुनिया में एक ऐसी महामारी से हुई जो अज्ञात भी थी और ला ईलाज भी। 100 साल पहले 1920 के आसपास देश में प्लेग फैला था …
Read More »नेपाल में उभरते संकेतों के मायने – रघु ठाकुर
नेपाल में हाल ही में दो घटनाएं घटित हुई हैं जो आश्चर्यजनक और विचारणीय भी हैं। कुछ दिनों पहले एक जुलूस काठमांडू की सड़कों पर निकला जो माँग कर रहा था कि, नेपाल को हिन्दू राष्ट्र बनाया जाना चाहिए और उसके कुछ अंतराल से एक और जुलूस निकला जो नेपाल …
Read More »संघ चाहता था अटल जी राष्ट्रपति बनें – राज खन्ना
(जन्मदिन 25 दिसम्बर पर विशेष) 2002 में संघ चाहता था कि अटलजी राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी संभाले। प्रोफेसर राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) इस सिलसिले में अटलजी से मिले भी थे। संघ की इस पेशकश के पीछे अन्य कारणों के साथ अटलजी के घुटनों की समस्या भी थी। प्रधानमंत्री के पद …
Read More »खोटे सिक्कों का कलदार बाजार व राजनीति के बेसुरे ’झुनझुने’- उमेश त्रिवेदी
रिया चक्रवर्ती की तरह कंगना रानौत भी लोकप्रियता की उस टीआरपी का हिस्सा हैं, जिसकी जुगाड़ में लोग अंगारे फांकने लगते हैं, जिसे हासिल करने के लिए वो जमीन-आसमान एक कर देते हैं। फर्क सिर्फ फलक का है। एक तरफ मीडिया का गुमान का है, तो दूसरी तरफ राजनीति के …
Read More »नई शिक्षा नीति: एक विश्लेषण – रघु ठाकुर
देश में नई शिक्षा नीति के दस्तावेज़ पर चर्चा चल रही है हालाकि यह चर्चा बहुत सामान्य स्तर पर है, यानी कुछ शिक्षा जगत से जुड़े लोगों और बुद्धिजीवियों के बीच में ही इस पर चर्चा हो रही है। चूंकि रपट अंग्रेजी भाषा में है अतः वह आम भारतीय के …
Read More »ओबामा की कसौटीः राहुल के सवाल व ट्रोल सेना की हुर्रेबाजी- उमेश त्रिवेदी
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी बेस्ट सेलर बुक ‘द ऑडेसिटी ऑफ होप’ में राजनीति का कटु सत्य उजागर करते हुए लिखा है कि- ‘इन दिनों पुरस्कार उसे नहीं मिलता, जो सही है, बल्कि उसे मिलता है, जो व्हाइट हाउस के प्रेस कार्यालय की तरह अपने तर्क ज्यादा …
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