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आलेख

वर्ष 2020: क्या खोया क्या पाया – रघु ठाकुर

वर्ष 2020 का साल लगभग 80 वर्षों के बाद एक बड़ी त्रासदी का साल रहा है। इसकी शुरूआत ही न केवल देश में बल्कि दुनिया में एक ऐसी महामारी से हुई जो अज्ञात भी थी और ला ईलाज भी। 100 साल पहले 1920 के आसपास देश में प्लेग फैला था …

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नेपाल में उभरते संकेतों के मायने – रघु ठाकुर

नेपाल में हाल ही में दो घटनाएं घटित हुई हैं जो आश्चर्यजनक और विचारणीय भी हैं। कुछ दिनों पहले एक जुलूस काठमांडू की सड़कों पर निकला जो माँग कर रहा था कि, नेपाल को हिन्दू राष्ट्र बनाया जाना चाहिए और उसके कुछ अंतराल से एक और जुलूस निकला जो नेपाल …

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संघ चाहता था अटल जी राष्ट्रपति बनें – राज खन्ना

(जन्मदिन 25 दिसम्बर पर विशेष) 2002 में संघ चाहता था कि अटलजी राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी संभाले। प्रोफेसर राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) इस सिलसिले में अटलजी से मिले भी थे। संघ की इस पेशकश के पीछे अन्य कारणों के साथ अटलजी के घुटनों की समस्या भी थी। प्रधानमंत्री के पद …

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खोटे सिक्कों का कलदार बाजार व राजनीति के बेसुरे ’झुनझुने’- उमेश त्रिवेदी

रिया चक्रवर्ती की तरह कंगना रानौत भी लोकप्रियता की उस टीआरपी का हिस्सा हैं, जिसकी जुगाड़ में लोग अंगारे फांकने लगते हैं, जिसे हासिल करने के लिए वो जमीन-आसमान एक कर देते हैं। फर्क सिर्फ फलक का है। एक तरफ मीडिया का गुमान का है, तो दूसरी तरफ राजनीति के …

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नई शिक्षा नीति: एक विश्लेषण – रघु ठाकुर

देश में नई शिक्षा नीति के दस्तावेज़ पर चर्चा चल रही है हालाकि यह चर्चा बहुत सामान्य स्तर पर है, यानी कुछ शिक्षा जगत से जुड़े लोगों और बुद्धिजीवियों के बीच में ही इस पर चर्चा हो रही है। चूंकि रपट अंग्रेजी भाषा में है अतः वह आम भारतीय के …

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ओबामा की कसौटीः राहुल के सवाल व ट्रोल सेना की हुर्रेबाजी- उमेश त्रिवेदी

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी बेस्ट सेलर बुक ‘द ऑडेसिटी ऑफ होप’ में राजनीति का कटु सत्य उजागर करते हुए लिखा है कि- ‘इन दिनों पुरस्कार उसे नहीं मिलता, जो सही है, बल्कि उसे मिलता है, जो व्हाइट हाउस के प्रेस कार्यालय की तरह अपने तर्क ज्यादा …

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चन्द्र शेखर आजाद और कसूरी बेंत की सजा- राज खन्ना

(जन्मदिन 23 जुलाई पर विशेष) 1921 में संस्कृत विद्यालय बनारस पर धरना देते समय अनेक सत्याग्रहियों के साथ आजाद भी पकड़े गए थे। तब वह चन्द्र शेखर तिवारी हुआ करते थे। खरे घाट की अदालत में मुकदमा चला। नाम पूछने पर ” आजाद” बताया। पिता का नाम “स्वाधीन” घर का …

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बेढब दौर के जनद्रोहियों की दास्तान-पंकज शर्मा

सवाल कांग्रेस का नहीं है, सवाल भारतीय जनता पार्टी का नहीं है, सवाल सचिन पायलट का नहीं है और सवाल अशोक गहलोत का भी नहीं है। सवाल यह है कि यह हो क्या रहा है, सवाल यह है कि यह हो क्यों रहा है, सवाल यह है कि यह हो …

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कोरोना काल में आत्महत्याओं की ओर बढ़ता भारत – रघु ठाकुर

कोरोना महामारी के संक्रमण की चेन को काटने के लिए लगभग सारी दुनिया में लाकडाउन को कारगर तरीका माना गया।यद्यपि लाकडाउन से कोई विशेष लाभ हुआ हो आंकड़े ऐसा कोई संकेत नहीं करते परन्तु लाकडाउन से अन्य कई प्रकार की समस्याएँ भी हमारे देश में पैदा हुई है। कोरोना प्रभाव …

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सरदार पटेल और जूनागढ़- राज खन्ना

जूनागढ़ ने सरदार पटेल की कश्मीर को लेकर सोच बदली। जूनागढ़ और हैदराबाद हिन्दू बहुल आबादी और मुस्लिम शासित रियासतें। कश्मीर मुस्लिम बहुल और हिन्दू शासक। 15 अगस्त 1947 तक इन तीनो रियासतों का मसला हल नही हो सका था। पटेल की प्राथमिकताओं में जूनागढ़ और हैदराबाद थे। पण्डित नेहरु …

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