मई का सूरज तप रहा था।सत्ता का भी।संविधान ताख पर था।उसकी बात करने वाले जेल में।ये इमरजेंसी के अंधियारे दिन थे।आजादी बाद पहली बार देश “संविधानेतर सत्ता” के अधीन था।ये सत्ता संजय गांधी की थी।उन्होंने आगे के सत्ता सफर के लिए अमेठी को चुना।1मई 1976 को संजय गांधी पहली बार …
Read More »छत्तीसगढ़ः एक हारी हुई बाज़ी – दिवाकर मुक्तिबोध
तीन माह पूर्व विधानसभा चुनाव में बुरी तरह पराजित प्रदेश भारतीय जनता पार्टी की सबसे बड़ी चिंता इस बात को लेकर है कि वह संगठन में जान किस तरह फूंके ताकि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बराबरी की टक्कर दे सके। छत्तीसगढ़ में तीन चरणों में लोकसभा चुनाव होने हैं, …
Read More »अमेठीः किलो-किलो बाकी है ! – राज खन्ना
गुलाबी ठंड की गुनगुनी धूप में अमेठी इठलाई हुई थी।खूब उत्साहित।हंसते-मुस्कुराते-नारे लगाते लोग।उनके सांसद और तबके प्रधानमंत्री राजीव गांधी मंच पर थे।अवसर जगदीशपुर के इंडोगल्फ़ के खाद कारखाने को देश को समर्पित करने का था।तारीख थी 24 नवम्बर 1988। तब राजीव गांधी की कही दो बातें 31साल बाद आज भी …
Read More »कमलनाथ-सिंधिया ‘सुनिश्चित’ जीत और ‘संदिग्ध’ जीत में फर्क समझेंगे? – उमेश त्रिवेदी
रविवार को भोपाल में मीडिया से मुखातिब कांग्रेस के महामंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सियासत के तारों को छेड़ते हुए गहरा सैध्दांतिक सुर साधा है कि संसदीय चुनाव में कांग्रेस के लिए कठिन सीटों पर बड़े और मजबूत नेताओं को लड़ना चाहिए। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी ऊंचा राजनीतिक आलाप लेते हुए …
Read More »सुल्तानपुर उम्मीद लगाए रहता है !! – राज खन्ना
चुनाव आते ही यह दर्द और शिद्दत से सामने आता है।दोहराया जाता है।उम्मीदें बन्धती हैं।फिर-फिर टूटती हैं।पूर्वांचल के तमाम अभावों-विपदाओं को समेटे है सुल्तानपुर।बुनियादी जरूरतें।अंतहीन समस्याएं।प्रकृति प्रदत्त और मानवजनित भी।अपनी कमियां हैं।प्रशासनिक खामियां हैं।राजनीतिक नेतृत्व की विफलता है।इन सबकी साझी गठरी ढो रही है यहां की बड़ी जरूरतमंद आबादी।पानी-बिजली।खेती-किसानी।पढ़ाई-दवाई।उद्योग शून्यता। …
Read More »म.प्र. में बड़ी चुनौती: पारिवारिक मोह छोड़ें या जिताऊ चेहरा तलाशें? – अरुण पटेल
लोकसभा चुनाव के लिए तारीखों की घोषणा के साथ ही चुनावी बिसात बिछना तेज हो गया है और 26 सीटों पर काबिज भारतीय जनता पार्टी और तीन सीटों पर काबिज कांग्रेस के लिए अपने-अपने लक्ष्य की पूर्ति करने के लिए जिताऊ चेहरों की तलाश करना आसान नहीं है। जहां तक …
Read More »27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण कमलनाथ का मास्टर स्ट्रोक-अरुण पटेल
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के पूर्व आनन-फानन में ओबीसी(अन्य पिछड़ा वर्ग) के लिए आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने का अध्यादेश जारी करा दिया है। कमलनाथ के इस मास्टर स्ट्रोक का मकसद मध्यप्रदेश में कांग्रेस के पक्ष में राज्य की …
Read More »साथ-साथ कैसे चलेंगे मॉब लिंचिंग और गांधीवाद – अरुण पटेल
गांधीवाद को लेकर पिछले कुछ सालों से अलग-अलग ढंग से व्याख्यायें सामने आती रहीं हैं। एक धड़ा वह है जो वास्तविक गांधी दर्शन और गांधीवाद के प्रति आचार-व्यवहार को समर्पित होकर उसे अंगीकार करने के विचारों से ओतप्रोत है तो दूसरा धड़ा ऐसे लोगों का है जो महात्मा गांधी के …
Read More »संघर्ष को रचनात्मकता देने वाले अनूठे नेता जॉर्ज फर्नांडिस – रघु ठाकुर
जॉर्ज फर्नांडिस से मेरा परिचय करीब 51साल से था। उनका जन्म मंगलूर के पास हुआ था और वे रोजगार की तलाश में 1949 में मुंबई आए थे। कोई रोजगार नहीं मिला तो उन्होंने एक चर्च में पादरी बनने का प्रयास किया लेकिन, पादरी भी वे नहीं बन पाए। जब एक …
Read More »बघेल सरकार का एक माह : आगे-आगे देखिए होता है क्या – दिवाकर मुक्तिबोध
17 जनवरी को छत्तीसगढ़ में कांग्रेस-राज की स्थापना को एक माह पूरा हो गया। 17 दिसंबर 2018 को भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। फिलहाल उनकी सरकार को फटाफट काम करने वाली सरकार मानना चाहिए जिसका लक्ष्य स्पष्ट है। पार्टी का घोषणा-पत्र उसके सामने है जिसके …
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