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आलेख

प्रधानमंत्री की खामोशी के अर्थ-अनर्थ – संजय द्विवेदी

तय मानिए यह देश नरेंद्र मोदी को, मनमोहन सिंह की तरह व्यवहार करता हुआ सह नहीं सकता। पूर्व प्रधानमंत्री मजबूरी का मनोनयन थे, जबकि नरेंद्र मोदी देश की जनता का सीधा चुनाव हैं। कई मायनों में वे जनता के सीधे प्रतिनिधि हैं। जाहिर है उन पर देश की जनता अपना …

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चुप्पी तोड़िये प्रधानमंत्री जी ! – भंवर मेघवंशी

आज देश के हर क्षेत्र के नामचीन लोग यह कह रहे है कि देश में सहिष्णुता का माहौल नहीं है,.अविश्वास और भय की स्थितियां बन गयी है ,फिर भी सत्ता प्रतिष्ठान के अधिपति इस बात को मानने को राजी नहीं दिखाई दे रहे है .साहित्यकारों द्वारा अवार्ड लौटाए जाने को …

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मुठभेड़ के नाम पर बंद हो सरकारी हिंसा-दिवाकर मुक्तिबोध

आत्मसमर्पित नक्सलियों को छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा नौकरी में लेने की पेशकश क्या राज्य में हिंसात्मक नक्सलवाद के ताबूत पर आखिरी कील साबित होगी? शायद हां, पर इसकी पुष्टि के लिए कुछ वक्त लगेगा जब राज्य सरकार की इस योजना पर पूरी गंभीरता एवं ईमानदारी से अमल शुरु होगा। दरअसल बस्तर …

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छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता के शीर्ष पुरुषों में थे बबन जी – दिवाकर मुक्तिबोध

पहले सर्वश्री मायाराम सुरजन फिर रामाश्रय उपाध्याय, मधुकर खेर, सत्येंद्र गुमाश्ता, रम्मू श्रीवास्तव, राजनारायण मिश्र, कमल ठाकुर और अब श्री बबन प्रसाद मिश्र। छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता के ये शीर्ष पुरुष एक – एक करके दुनिया से विदा हो गए और अपने पीछे ऐसा शून्य छोड़ गए जिसकी भरपाई मुश्किल नजर …

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पुस्तक समीक्षा- दीनदयाल जी पर एक प्रामाणिक किताब–सईद अंसारी

    पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का शताब्दी वर्ष 25 सितंबर 2015 से शुरू हुआ है। इस मौके पर लेखक संजय द्विवेदी ने दीनदयाल पर बेहद प्रामाणिक, वैचारिक सामग्री इस किताब के रूप में पेश की है। निश्चित रूप से इस प्रयास के लिए संजय बधाई के पात्र हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के पूरे व्यक्तित्व का आकलन …

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अधिकार कानूनों की नीयत और हकीकत -डा.संजय शुक्ला

केन्द्र और राज्य सरकार ने समय-समय पर ऐसी कई योजनाएं और अधिकार कानून लागू किए हैं जिनका देश की आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक व शैक्षणिक व्यवस्था पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से गहरा असर पड़ा है।इन योजनाओं एवं अधिकार कानूनों के मूल में निःसंदेह सत्ताधारी दल की नियत राजनीतिक नफा …

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कौन चाहता है बन जाए राममंदिर ? -संजय द्विवेदी

राममंदिर के लिए फिर से अयोध्या में पत्थरों की ढलाई का काम शुरू हो गया है।नेताओं की बयानबाजियां शुरू हो गयी हैं। उप्र पुलिस भी अर्लट हो गयी है। कहा जा रहा है कि पत्थरों की यह ढलाई राममंदिर की दूसरी मंजिल के लिए हो रही है। राममंदिर के लिए …

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न अजीत जोगी खारिज, न मोतीलाल वोरा-दिवाकर मुक्तिबोध

कांग्रेस बैठे-ठाले मुसीबत मोल न ले तो वह कांग्रेस कैसी? अपनों पर ही शब्दों के तीर चलाने वाले नेता जब इच्छा होती है, शांत पानी में एक कंकड़ उछाल देते है और फिर लहरे गिनने लग जाते हैं। छत्तीसगढ़ कांग्रेस में पिछले चंद महीनों से काफी कुछ ठीक-ठाक चल रहा …

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भूखे भारत में अनाज की बर्बादी – डा.संजय शुक्ला

ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में कुल भूख से पीडि़त संख्या का एक चौथाई भाग भारत में रहता है।पाकिस्तान, बंग्लादेश और श्रीलंका जैसे हमारे पड़ोसी देश लगातार आंतरिक अशांति व अस्थिरता से जूझने के बावजूद हमसे बेहतर स्थिति में है। भूख का सीधा संबंध कुपोषण से है जिसके …

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आतंकवाद से कैसे लड़ें – संजय द्विवेदी

आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई कड़े संकल्पों के कारण धीमी पड़ रही है। पंजाब के हाल के वाकये बता रहे हैं कि हम कितनी गफलत में जी रहे हैं। राजनीतिक संकल्पों और मैदानी लड़ाई में बहुत अंतर है, यह साफ दिख भी रहा है। पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसियों के …

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