गांधी जी बैठक में नही थे। पर कार्यवाही में छाए हुए थे। देश की किस्मत का फैसला लिया जा चुका था। अब फिक्र इस फैसले पर गांधी जी की प्रतिक्रिया की थी। वायसराय माउंटबेटन चिंतित थे। गांधी जी खिलाफ़ गए, तो हालात काबू के बाहर चले जायेंगे। 3 जून 1947 …
Read More »कोरोना की कराहों में सेना के जरिए ‘वाह-वाह’ की तलाश…- उमेश त्रिवेदी
देश में कोरोना से लड़ने वाले भारत के कर्मवीर योद्धाओं के वंदन अभिनंदन के प्रसंग में भारतीय सेना की गैरजरूरी पहल के बाद लोगों के जहन में सेना के राजनीतिकरण से होने वाले नुकसान की आशंकाएं फिर आकार लेने लगी हैं। मौजूदा हालात में सेना की सलामी का गैर जरूरी …
Read More »दर्शकों की ‘रियल-लाइफ’ में ‘रील-लाइफ’ का रोमांच थे इरफान… – उमेश त्रिवेदी
‘इरफान का पूरा नाम साहबजादे ’इरफान’ अली खान था और उनके पिता कहा करते थे कि वह पठान-परिवार मे पैदा हुआ ब्राम्हण है…वो शाकाहारी थे, उनके मन की हमदर्दी, दया और करूणा उन्हें शिकार करने से रोकती थी…।’ इरफान खान से संबंधित ऐसी अनेक जानकारियों से दुनिया भर की वेबसाइट्स, …
Read More »‘नास्त्रेदमस’ के मोदी और ‘सतयुग’ में ‘सियासी-सत्कर्म’(?) की कहानी – उमेश त्रिवेदी
विश्व-गुरू’ और ’वैश्विक आर्थिक शक्ति’ बनने के लिए आतुर भारत के प्रारब्ध को लेकर लोगों के मन में उत्सुकता स्वाभाविक है। इतिहास-भूगोल, वेद-पुराण, भृगु-संहिता, ज्योतिष शास्त्र के साथ पिंजरे में बंद तोता-मैना की प्रश्नावलियों तक, महान भारत की तलाश अर्से से जारी है। सोलहवी शताब्दी फ्रांस में जन्मे विश्वविख्यात भविष्यवक्ता …
Read More »कोरोना के बाद की दुनिया कैसी होगी? –रघु ठाकुर
कोरोना के वैश्विक संकट से समूची दुनिया में बहस शुरू हुई है और इस महामारी के विश्व पर क्या प्रभाव हो सकते हैं ? इसकी भी चर्चा शुरू हो रही है।भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी भविष्य को लेकर कुछ बिंदु अपने लेख के माध्यम से रखे …
Read More »ट्रम्प पर सितम, मोदी पर करम… ऐ मीडिया, तू ये जुर्म न कर… – उमेश त्रिवेदी
अमेरिका के तथाकथित बे-मुरव्वत, बे-रहम और बे-गैरत मीडिया के शत्रुतापूर्ण सवालों से उत्तेजित अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की नाराजी के बाद भारत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति मीडिया की रहमदिली और रजामंदी के अफसानों की खामोशी छप्पन इंच का सीना तानकर लोकतंत्र के सामने खड़ी हो गई है। अमेरिका …
Read More »गांधी और जिन्ना – राज खन्ना
गांधी जी ने कहा,” जब आप बताएंगे कि प्रस्ताव मेरा है, तो जिन्ना कहेंगे “धूर्त गांधी।” माउंटबेटन की टिप्पणी थी,” और मैं समझता हूं जिन्ना सही होंगे।” वायसराय की जिम्मेदारी संभालने के बाद माउंटबेटन ने भारतीय नेताओं से मुलाकात का सिलसिला शुरु किया। 1 और 2 अप्रेल 1947 को माउंटबेटन …
Read More »प्रसंग अर्णब: टीआरपी के लिए ‘मुर्गे’ लड़ाने के शौक में मारे गए ‘गुलफाम’- उमेश त्रिवेदी
प्रसंग-अर्णब के विवादास्पद ’टैक्स्ट’ में प्रेस की कथित आजादी, पत्रकारों की कथित सुरक्षा, वैचारिक-विश्व में ’सहिष्णु’ भाजपा और ’असहिष्णु’ कांग्रेस, राजनीतिक आरोप और मार-पीट जैसे कई प्रसंग और सवाल मौजूद हैं। इस पटकथा की बुनावट मकड़ी के जाले जैसी कॉम्प्लेक्स है। कांग्रेस के हमले के विरूद्ध भाजपा के शीर्ष नेतृत्व …
Read More »समाजवाद के बिना संविधान अधूरा-रघु ठाकुर
टेलीविजन नहीं होने के कुछ फायदे भी हैं यद्यपि कुछ नुकसान भी हैं कि कई घटनाओं की तुरंत जानकारी नहीं मिल पाती। मुझे एक मित्र ने बताया कि कुछ दिनों पहले भाजपा के राज्यसभा सांसद श्री राकेश सिन्हा जी ने कहा कि संविधान से समाजवाद शब्द हटा देना चाहिए। वैसे …
Read More »मुमुक्षु-भवन की खिडकी से दिखता चांद-पंकज शर्मा
बचपन से सुनते आ रहे थे कि भैया, मनुष्य बली नहीं होता है, बलवान तो समय होता है; वरना वही अर्जुन थे और वही उनका गांडीव धनुष था, लेकिन भील गापियों को लूट ले गए तो लूट ही ले गए। महाभारत जीतने वाले अर्जुन उसके बाद मुट्ठी भर लुटेरों का …
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