Friday , October 10 2025

आलेख

क्या ‘मांसाहारी-दूध’ के लिए मजबूर किया जा रहा भारत ?- डा.राजाराम त्रिपाठी

     जिस देश में गाय मात्र एक पशु नहीं, बल्कि आस्था, अर्थव्यवस्था और कृषि जीवन-धारा की प्रतीक रही है; जहां “गोमाता” को साक्षात धरती पर देवत्व के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है; उस देश में यदि गाय की कोशिकाओं से संवर्धित प्रयोगशाला निर्मित कृत्रिम दूध को सरकारी अनुमति देने …

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तय कीजिए आप जर्नलिस्ट हैं या एक्टीविस्ट ! -प्रो. संजय द्विवेदी

(प्रो.संजय द्विवेदी) भारतीय मीडिया अपने पारंपरिक अधिष्ठान में भले ही राष्ट्रभक्ति,जनसेवा और लोकमंगल के मूल्यों से अनुप्राणित होती रही हो, किंतु ताजा समय में उस पर सवालिया निशान बहुत हैं। ‘एजेंडा आधारित पत्रकारिता’ के चलते समूची मीडिया की नैतिकता और समझदारी कसौटी पर है। सही मायने में पत्रकारिता में अब …

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महिलाओं के प्रति सम्मान के बिना कैसे आयेगी नर-नारी समता ? – रघु ठाकुर

(रघु ठाकुर) अभी कुछ समय पूर्व संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्णयानुसार समूची दुनिया ने विश्व महिला दिवस मनाया। भारत में भी यह दिवस बड़े पैमाने पर मनाया गया। दुनिया और देश में किस प्रकार महिलाएं आगे जा रही है इसका भी चित्रण किया गया। इसमें कोई दो मत नहीं है …

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भारतीय भाषाओं का आपसी संघर्ष अंग्रेजी साम्राज्यवाद की जड़ें और करेगा मजबूत -प्रो.संजय द्विवेदी

  भरोसा नहीं होता कि महाराष्ट्र जैसी समावेशी और महान धरती से हिंदी के विरोध में भी कोई बेसुरी आवाज़ सामने आएगी। शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने महाराष्ट्र में पहली से लेकर पाँचवीं कक्षा तक हिंदी पढ़ाए जाने का विरोध किया है। यह एक ऐसा विचार है, जिसकी जितनी …

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भारत विदेशी कृषि उत्पादों का बाज़ार बनने को अभिशप्त- डॉ.राजाराम त्रिपाठी

  हाल ही में नीति आयोग द्वारा प्रस्तुत एक वर्किंग पेपर ने देश के कृषि जगत में गहरी चिंता और असंतोष उत्पन्न किया है। इस पेपर में अमेरिका से कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क घटाने, जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) सोयाबीन व मक्का को भारत में लाने, और भारत को इन उत्पादों …

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मधु लिमयेःमहान समाजवादी नेता, चिंतक और विचारक- जयशंकर गुप्त

   ( लिमये जी की 104वीं जयंती पर) जिनके साथ आप कभी बहुत गहरे जुड़े रहे हों, जिनके बारे में बहुत अधिक जानते हों, उनके बारे में कुछ लिखना कितना मुश्किल होता है, यह आज मुझे मधु जी यानी देश के महान समाजवादी नेता, चिंतक और विचारक, राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन …

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सामाजिक क्रांति की जरूरत है न कि भ्रान्ति की-रघु ठाकुर

   (14 अप्रैल अम्बेडकर जयंती पर विशेष) हमारे देश के कुछ दलित बुद्धिजीवियों व स्वघोषित आंबेडकरवादियों ने अमेरिकी तर्ज पर भारत में डायवर्सिटी के सिद्धांत को अपना आदर्श लक्ष्य घोषित किया है तथा वे इसे क्रांतिकारी सिद्धांत बताने का प्रयास करते रहे हैं। दरअसल अमेरिका में 1960 के दशक में …

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हाकी की नर्सरी के रूप में छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले की पहचान- धनंजय राठौर

हॉकी की नर्सरी के रूप में छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले की पहचान है। यहां के हॉकी खिलाड़़ी अपनी बेहतरीन खेल प्रतिभा का प्रदर्शन करते रहे हैं।राज्य के प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय एस्ट्रोटर्फ हॉकी स्टेडियम के रूप में छत्तीसगढ़ एवं राजनांदगांव को खेल मानचित्र पर एक नई पहचान मिली है। लगभग 22 करोड़ …

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सावरकर के ‘हिंदुत्व’ को डॉक्टर अम्बेडकर ने बताया था असंगत और देश के लिए खतरनाक -उर्मिलेश

 उर्मिलेश   संसद के शीतकालीन सत्र में ‘संविधान के 75 वर्ष’ के गौरवशाली मौके पर लोकसभा में दो दिनों की बहुत जीवंत बहस हुई। इसमें तमाम तरह के राजनीतिक और वैचारिक मुद्दे उठे। सत्तापक्ष का जोर समसामयिक राजनीतिक मुद्दों पर रहा।   कई विपक्षी नेताओं ने समकालीन राजनीतिक मुद्दों के …

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जनसंख्या वृद्धि की संघ प्रमुख की सलाह तार्किक नही – रघु ठाकुर

रघु ठाकुर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ संचालक जनसंख्या वृद्धि दर की बहस में शामिल हो गए हैं। उन्होंने जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 प्रतिशत से कम होने पर चिंता व्यक्त की है और अपील भी की है कि जनसंख्या की वृद्धि दर कम से कम 3 प्रतिशत होनी चाहिए। इसमें उन्होंने यह …

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