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आलेख

मुखर मोदी भक्तों और मौन विरोधियों के बीच कड़ा मुकाबला – अरुण पटेल

लोकसभा का आम चुनाव पूरे देश सहित मध्यप्रदेश में भी मुखर मोदी भक्तों और मौन मोदी विरोधियों के बीच सिमट कर रह गया है, इसमें जिसकी संख्या ज्यादा होगी वह चुनावी बाजी जीत लेगा। मुखर मोदी भक्तों ने पूरे चुनावी परिदृश्य को मोदीमय बना देने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी …

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अमेठी में राहुल को पहली बार मिल रही हैं सबसे कड़ी चुनौती – राज खन्ना

मोदी बनारस में इत्मिनान से।पर अमेठी राहुल को बेफ़िक्र नही होने दे रही। बनारस के भरोसे ने मोदी को बड़ोदरा की जरूरत महसूस नही होने दी। उधर ‘ परिवार की अमेठी ‘ ने राहुल को वायनाड से भी जुड़ने को मजबूर कर दिया। 2019 की अमेठी अब तक की सबसे …

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भोपाल में प्रज्ञा ठाकुर: अतिवाद के कढ़ाव में नफरत का उफान – उमेश त्रिवेदी

भोपाल में बजरिए प्रज्ञा ठाकुर संघ-परिवार और भाजपा  उत्तर भारत के हिन्दी राज्यों में हिन्दुत्व के उस उन्मादी ’बॉयलिंग-पॉईंट’ को तलाशना चाह रहें हैं, जहां सांप्रदायिक विभाजन के कढ़ाव में हिन्दू-मुस्लिम ध्रुवीकरण निरन्तर उबलता-उफनता रहे और उनके वोटों की फसल लहलहाती रहे। गोरखपुर मठ के प्रमुख मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के …

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इंदिराजी की वसीयत के साये में गाढ़ी होती राजनीतिक-नफरत – उमेश त्रिवेदी

चौबीसों घंटे एक हजार कमांडो के सुरक्षा घेरे में रहने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह बयान गौरतलब है कि ’कांग्रेस को मुझसे इतनी नफरत हो गई है कि वो मुझे मारने तक के सपने देखने लगे हैं’। मोदी ने कांग्रेस पर यह आरोप दो दिन पहले बुधवार को इटारसी …

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क्या चुनाव के बाद लोकतंत्र की सही-सलामत वापसी संभव है? – उमेश त्रिवेदी

यह सवाल पेंडुलम की तरह हिचकोले खा रहा है कि लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण के गरमागरम माहौल में राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता पर उठने वाले पुराने सवाल क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के रणनीतिकारों की ’हताशा’ का प्रतीक हैं अथवा ’अतिशय आत्म-विश्‍वास’ का परिचायक हैं?  ’हताशा’ के …

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होशंगाबाद में कांग्रेस की उम्मीदों पर कितना खरा उतर पाएंगे शैलेंद्र सिंह – अरुण पटेल

होशंगाबाद संसदीय क्षेत्र अक्सर देशव्यापी आकर्षण का केन्द्र रहा है क्योंकि यहां से दिग्गज नेता चुनावी समर में उतरते रहे हैं। सैयद अहमद मूसा, हरिविष्णु कामथ, मगनलाल बागड़ी, रघुनाथ सिंह किलेदार, चौधरी नीतिराज सिंह, सुंदरलाल पटवा, अर्जुन सिंह, रामेश्‍वर नीखरा और सरताज सिंह जैसे दिग्गज चेहरे यहां के चुनावी समर …

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खुद को बखानते मोदी: मीडिया और राजनीति की नई खिचड़ी- उमेश त्रिवेदी

बनारस के जिस ’अस्सी घाट’ पर गंगा की लहरों पर इठलाते हुए ’आज तक’ के तीन दिग्गज पत्रकारों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का लंबा इंटरव्यू लिया, उस ’अस्सी’ की सांस्कृतिक और सामाजिक सच्चाइयों का अपना मिजाज है। हिंदी के जाने-माने हस्ताक्षर काशीनाथ सिंह का उपन्यास ’काशी का अस्सी’ पढ़ें तो …

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कहां गए वो दिन: जब सद्भावना से भरे होते थे उम्मीदवार – अरुण पटेल

पिछले एक दशक से तो लोकसभा और विधासभाओं के चुनाव युद्ध मानकर लड़े जाते हैं जिसमें प्रतिस्पर्धी उम्मीदवार को प्रतिद्वंद्वी न मानकर दुश्मन माना जाने लगा है और आपसी शिष्टाचार व सौजन्य तो दूर की कौड़ी हो गयी है। एक-दूसरे के चेहरों पर आरोपों की कालिख पोतने में कोई किसी …

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क्या है भाजपा के डेमेज कंट्रोल के दावों की हकीकत – अरुण पटेल

लोकसभा चुनाव के लिए मध्यप्रदेश में प्रथम चरण के मतदान में अब दो दिन ही शेष हैं लेकिन भारतीय जनता पार्टी अभी तक पूरी तरह से आंतरिक विरोध पर काबू नहीं कर पाई है और डेमेज कंट्रोल की जो जिम्मेदारी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, …

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‘हेट-पोलिटिक्स’ के बीहड़ों में ‘नेहरू’ की लोकतांत्रिक-तलाश – उमेश त्रिवेदी

हेट-पोलिटिक्स की पराकाष्ठा के खतरनाक दौर में वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ प्रियंका गांधी की उम्मीदवारी पर राहुल गांधी का वीटो लोकतंत्र में नई उम्मीदों को पनाह देता नजर आता है। राजनीतिक गलियारों में यह खबर बेवजह नहीं तैर रही थी कि प्रियंका गांधी मोदी के खिलाफ चुनावी …

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